जितिया व्रत कथा
जितिया की कथा के अनुसार, गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन को उनके पिता के वन जाने के बाद राजा बनाया गया. जीमूतवाहन में भी अपने पिता के समान ही गुण थे. वे भी परोपकारी और दयालु स्वभाव के थे. उन्होंने लंबे समय तक अपने राज्य पर शासन किया और प्रजा की सेवा की. फिर वे भी अपने पिता की तरह राजपाट छोड़कर वन चले गए.
इस वचन के अनुसार, आज के दिन उसके बेटे को गरुड़ के पास जाना है. इसे वजह से वह डरी हुई है कि आज उसके बेटे के प्राणों पर संकट है. यह सोच-सोचकर वह काफी दुखी है. तब जीमूतवाहन ने कहा कि तुम परेशान न हो. तुम्हारे बेटे को कुछ नहीं होगा. तुम्होरे बेटे के बदले वह स्वयं पक्षीराज गरुड़ के पास जाएंगे. जीमूतवाहन उनका आहार बनने के लिए तैयार थे. उनकी बातों को सुनकर वह वृद्ध महिला शांत हुई और बेटे के बचने की खुशी उसके चेहरे पर दिखने लगी.

गरुड़ ने जीमूतवाहन से कहा कि अब वे नाग वंश के किसी सदस्य को अपना आहार नहीं बनाएंगे. इस प्रकार से जीमूतवाहन ने नाग वंश की उस वृद्धि महिला के बेटे के प्राणों की रक्षा की और नाग वंश को भी गरुड़ के भय से मुक्त कर दिया. जो माताएं विधि विधान से व्रत रखकर यह कथा सुनती हैं, उनको पुण्य लाभ होता है और संतान सुरक्षित रहती है.

पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा उस शिविर में गहरी नींद में सो रहे 5 लोगों को मार डालता है. वो सोचता है कि उसने पांचों पांडवों को मार डाला, लेकिन वे सभी पांडवों की संतानें थीं. जब यह बात अश्वत्थामा को पता चलती है तो वह अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को ब्रह्मास्त्र चलाकर मार देता है.
जितिया मुहूर्त और पारण

आश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन: 15 सितंबर, सोमवार, 3:06 एएम पर
रवि योग: 6:05 ए एम से 8:41 ए एम
जितिया पूजा मुहूर्त: सुबह में 7:38 ए एम से दोपहर 12:16 पी एम,
शाम में पूजा का मुहूर्त 6:27 पी एम से 07:55 पी एम तक
जितिया पारण समय: 15 सितंबर, सोमवार, 06:06 ए एम के बाद
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)