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Jitiya Vrat Katha in hindi | jivitputrika vrat katha | Jitiya Vrat 2025 muhurat | जितिया व्रत कथा | जीवित्पुत्रिका व्रत कथा


जितिया व्रत 14 सितंबर रविवार को रवि योग में है. जितिया को जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जानते हैं. इसमें माताएं सूर्योदय से पूर्व सरगी ग्रहण करती हैं, सूर्य देव के उदित होने पर निर्जला व्रत प्रारंभ हो जाता है. यह व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय के बाद तक रहता है. जितिया के दिन गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन की पूजा करते हैं क्योंकि उन्होंने पक्षीराज गरुड़ से नाग वंश की रक्षा की थी. जो माताएं जितिया व्रत हैं, वे पूजा के समय जितिया व्रत की कथा सुनें या पढ़ें. आइए जानते हैं जीवित्पुत्रिका व्रत के मुहूर्त और पारण समय के बारे में.

जितिया व्रत कथा

जितिया की कथा के अनुसार, गंधर्व राजकुमार जीमूतवाहन को उनके पिता के वन जाने के बाद राजा बनाया गया. जीमूतवाहन में भी अपने पिता के समान ही गुण थे. वे भी परोपकारी और दयालु स्वभाव के थे. उन्होंने लंबे समय तक अपने राज्य पर शासन किया और प्रजा की सेवा की. फिर वे भी अपने पिता की तरह राजपाट छोड़कर वन चले गए.

वन में काफी समय व्यतीत करने के बाद एक दिन जीमूतवाहन की मुलाकात एक वृद्धि महिला से हुई, जो नाग वंश की थी. वह काफी डरी हुई थी. जीमूतवाहन ने उससे पूछा कि वो भयभीत और चिंतित क्यों है? तो उसने बताया कि नाग वंश के लोगों ने पक्षरीज गरुड़ से समझौता किया है कि उनके आहार के लिए नाग वंश का एक सदस्य उनके पास जाएगा.

इस वचन के अनुसार, आज के दिन उसके बेटे को गरुड़ के पास जाना है. इसे वजह से वह डरी हुई है कि आज उसके बेटे के प्राणों पर संकट है. यह सोच-सोचकर वह काफी दुखी है. तब जीमूतवाहन ने कहा कि तुम परेशान न हो. तुम्हारे बेटे को कुछ नहीं होगा. तुम्होरे बेटे के बदले वह स्वयं पक्षीराज गरुड़ के पास जाएंगे. जीमूतवाहन उनका आहार बनने के लिए तैयार थे. उनकी बातों को सुनकर वह वृद्ध महिला शांत हुई और बेटे के बचने की खुशी उसके चेहरे पर दिखने लगी.

उस दिन पक्षीराज गरुड़ के पास नाग वंश के सदस्य के जाने का समय आया तो जीमूतवाहन स्वयं वहां पहुंच गए. जीमूतवाहन ने अपने शरीर को लाल रंग के कपड़े से लपेट रखा था. पक्षीराज गरुड़ आए और जीमूतवाहन को अपने मजबूत पंजों में जकड़ लिया और अपने साथ लेकर उड़ गए.

गरुड़ ने देखा कि जीमूतवाहन दर्द से चीख और रो रहे हैं. तब गरुड़ एक ​स्थान पर रुके तो जीमूतवाहन ने उनको सारी घटना बताई. जीमूतवाहन की दया और परोपकार की भावना से पक्षीराज गुरुड़ काफी प्रभावित हुए, उन्होंने जीमूतवाहन को जीवनदान दे दिया. जीमूतवाहन के प्राण बच गए.

गरुड़ ने जीमूतवाहन से कहा कि अब वे नाग वंश के किसी सदस्य को अपना आहार नहीं बनाएंगे. इस प्रकार से जीमूतवाहन ने नाग वंश की उस वृद्धि महिला के बेटे के प्राणों की रक्षा की और नाग वंश को भी गरुड़ के भय से मुक्त कर दिया. जो माताएं विधि विधान से व्रत रखकर यह कथा सुनती हैं, उनको पुण्य लाभ होता है और संतान सुरक्षित रहती है.

पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा उस शिविर में गहरी नींद में सो रहे 5 लोगों को मार डालता है. वो सोचता है कि उसने पांचों पांडवों को मार डाला, लेकिन वे सभी पांडवों की संतानें थीं. जब यह बात अश्वत्थामा को पता चलती है तो वह अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को ब्रह्मास्त्र चलाकर मार देता है.

लेकिन भगवान कृष्ण ने उत्तरा की संतान की रक्षा करते हैं. उसे फिर से जीवित कर देते हैं. वह बच्चा गर्भ में मरकर फिर से जीवित हो जाता है, इसे वजह से उसका नाम जीवित्पुत्रिका पड़ता है. हालां​कि बाद में वही बच्चा राजा प​रीक्षित के नाम से प्रसिद्ध होता है. इस घटना के बाद से ही माताएं अपनी संतान की रक्षा के लिए जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत करने लगीं.

जितिया मुहूर्त और पारण

आश्विन कृष्ण अष्टमी ति​थि का प्रारंभ: 14 सितंबर, रविवार, 5:04 एएम पर
आश्विन कृष्ण अष्टमी ति​थि का समापन: 15 सितंबर, सोमवार, 3:06 एएम पर
रवि योग: 6:05 ए एम से 8:41 ए एम
जितिया पूजा मुहूर्त: सुबह में 7:38 ए एम से दोपहर 12:16 पी एम,
शाम में पूजा का मुहूर्त 6:27 पी एम से 07:55 पी एम तक
जितिया पारण समय: 15 सितंबर, सोमवार, 06:06 ए एम के बाद

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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