फरीदाबाद: नवरात्रि के पावन पर्व में घर-घर में माता रानी की आराधना का विशेष महत्व होता है. इन नौ दिनों में विशेष रूप से अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है. यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बच्चों के प्रति स्नेह और सम्मान का भी प्रतीक है. मान्यता है कि कन्या रूप में देवी भगवती हमारे बीच पधारती हैं, इसलिए उनका आदर और सेवा करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है.
प्राचीन काल से चला आ रहा है कन्या पूजन
Local18 से बातचीत में महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य ने बताया कि शारदीय नवरात्रि में भगवती के नौ रूप हैं…शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंध माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री. लोग परंपरा अनुसार आठवें या नौवीं नवरात्रि को कन्या पूजन करते हैं. वेदांताचार्य ने एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि एक बार उन्हें पेचिस की बीमारी ने बहुत कमजोर कर दिया था. प्यास लगने पर उन्होंने पास में रखे कमंडल के लिए इधर-उधर देखा और छोटी कन्या को देखा. जब उन्होंने उस कन्या से कमंडल मांगा तो बच्ची ने खुद नहीं दिया लेकिन उन्होंने समझ लिया कि यही देवी भगवती का कन्या रूप है. यही वजह है कि नवरात्रि में कन्याओं का पूजन प्राचीन काल से चला आ रहा है.
कन्या पूजन करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
कन्या पूजन के समय घर में बुलाई गई छोटी कन्याओं का स्वागत बहुत ही सम्मानपूर्वक करना चाहिए. सबसे पहले उनकी चरणों को धोकर साफ तौलिए से पोछा जाता है. इसके बाद लाल रंग और फूल-माला से उनका श्रृंगार किया जाता है. यह परंपरा देवी जगदंबा के सम्मान के समान होती है. साथ ही उनके सामने रोली-अक्षत, जल, नारियल, दीपक और साफ आसन रखना जरूरी होता है. इससे यह प्रतीक बनता है कि कन्या पूजन पवित्र और मंगलमय वातावरण में हो रहा है.
भोग में इन चीजों करें शामिल
भोग में आठ विशेष चीजें रखी जाती हैं जिनमें फल, मिठाई, हलवा, चावल, खिचड़ी, पापड़, दही और नारियल प्रमुख हैं. यह सभी चीजें देवी भगवती को अर्पित की जाती हैं और फिर बच्चों को बड़े प्रेम से खिलाई जाती हैं. पूजन के दौरान उनके हाथ में कलावा बांधना, माथे पर चंदन लगाना और चुन्नी उड़ाना भी आवश्यक माना जाता है. अंत में कन्याओं को दक्षिणा देना, चरणों में प्रणाम करना और आरती करना पूजन की विधि को पूर्ण करता है.
इस पूरी प्रक्रिया में न केवल धार्मिक आस्था जुड़ी होती है बल्कि यह हमें बच्चों के प्रति स्नेह और आदर सिखाती है. कन्या पूजन के माध्यम से माता भगवती की कृपा और संरक्षण की मान्यता हमारे जीवन में बनी रहती है. यही कारण है कि नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है और इसे मनाना हर परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है.