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Khandit Shivalinga Kaushambi: अक्सर आपने देखा होगा शिवलिंग पर लोग जल चढ़ाते हैं और अगर शिवलिंग खंडित हो जाए तो उसकी पूजा नहीं होती, लेकिन यूपी में एक ऐसा इकलौता शिवलिंग भी है, जिसकी पूजा खंडित होने के बाद भी की जाती है. इस शिवलिंग की कहानी भी काफी रहस्यमय है.
कौशाम्भी: हिन्दू धर्म में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व होता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार, खंडित यानी टूटा हुआ शिवलिंग पूजा नहीं जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के जनपद कौशाम्बी स्थित कड़ा धाम में एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है. यहां गंगा नदी के पावन तट पर स्थित खंडित शिवलिंग की श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा की जा रही है. उत्तर प्रदेश के जनपद कौशाम्बी के गंगा किनारे स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल कड़ा धाम में एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है. गंगा नदी के पावन तट पर स्थित खंडित शिवलिंग की भक्त गण बड़े ही श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भाव से पूजा करते हैं.
पुजारियों की मानें तो कहा जाता है कि भारतवर्ष मे एक ऐसा खंडित शिवलिंग केवल कौशाम्बी जनपद के कड़ा में है, जो खंडित शिवलिंग है. स्थानीय श्रद्धालुओं का मानना है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है और किसी प्राकृतिक आपदा अथवा काल प्रवाह के कारण खंडित हुआ है. उनका कहना है कि यहां पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और संकट दूर होते हैं. यही कारण है कि सावन माह, महाशिवरात्रि और सोमवार के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.
जानें क्या है शिवलिंग की कहानी
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि शिवलिंग को युधिष्ठिर के द्वारा स्थापित किया गया था. उस समय जहां भी शिवलिंग को देखता था, वहीं पर औरंगजेब अपने सैनिको के साथ मंदिरों में वार करके खंडित करते थे. कहा जाता है कि जब उसके सैनिक देशभर में मंदिरों को ध्वस्त कर रहे थे, तब उन्होंने कड़ा धाम पर भी हमला किया. जब औरंगजेब ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर शिवलिंग पर तलवार से हमला किया तो उस शिवलिंग में एक तरफ दूध की धाराएं तो दूसरी तरफ खून की धाराएं बहने लगीं.
क्यों होती है खंडित शिवलिंग की पूजा
पुरोहित जोगेश कुमार ने बताया कि पूरे भारतवर्ष में एक ऐसा एक ही खंडित शिवलिंग मंदिर है, जो कड़ा धाम गंगा नदी के किनारे स्थित है. इसे महाकालेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर पर पंडित शिवलिंग की श्रद्धा भाव से ही भक्ति पूजा करते हैं. पुजारी ने बताया कि खंडित शिवलिंग पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि भगवान शिव को निरंकार एवं ब्रह्म के रूप में पूजा करते हैं. निरंकार और ब्रह्म का जो रूप भोलेनाथ जी का यह बहुत ही अद्भुत रूप है. ऐसे में इसको खंडित रूप नहीं मानते हैं. लोगों की आस्था और विश्वास से लोगों की हर मनोकामनाएं परिपूर्ण होती हैं. इसलिए भक्त लोग बड़े ही श्रद्धा और भाव से पूजा-अर्चना करते हैं.
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आर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Bharat.one से जुड़ गए.
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