Home Dharma Kinnar Akhara Kuldevi: किन्नर अखाड़े की कुलदेवी हैं बहुचरा माता, किन्नरों के...

Kinnar Akhara Kuldevi: किन्नर अखाड़े की कुलदेवी हैं बहुचरा माता, किन्नरों के लिए कैसे बनीं विशेष? नि:संतानों को देती हैं वरदान

0


Last Updated:

Kinnar Akhara Kuldevi: किन्नर अखाड़े की कुलदेवी बहुचरा माता नि:संतानों को पुत्र का वरदान देती हैं. गुजरात के मेहसाणा में उनका प्रसिद्ध मंदिर है. किन्नर समाज उनकी पूजा कर हर शुभ काम शुरू करता है.

किन्नर अखाड़े की कुलदेवी हैं बहुचरा माता, किन्नरों के लिए कैसे बनीं विशेष?

किन्नरों की कुलदेवी बहुचरा माता. (PTI)

हाइलाइट्स

  • किन्नर अखाड़े की कुलदेवी हैं बहुचरा माता.
  • गुजरात के मेहसाणा में बहुचरा माता का प्रसिद्ध मंदिर है.
  • बहुचरा माता नि:संतानों को पुत्र का वरदान देती हैं.

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा भी आया हुआ है. किन्नर अखाड़ा कुछ दिनों से सुर्खियों में है. ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनाए जाने पर विवाद हुआ. उसके बाद ममता कुलकर्णी और आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय कुमार दास ने निकाल दिया. इन सबके बीच आज हम आपको किन्नर अखाड़े की कुलदेवी बहुचरा माता के बारे में बताने जा रहे हैं. वे किन्नरों के लिए विशेष क्यों हैं? हर शुभ काम से पहले किन्नर उनका आशीर्वाद क्यों लेते हैं? बहुचरा माता नि:संतानों को कौन सा वरदान देती हैं?

किन्नरों की कुलदेवी हैं बहुचरा माता
बहुचरा माता किन्नरों की कुलदेवी हैं. किन्नर समाज के लोग बिना की पूजा​ और आशीर्वाद के कोई शुभ काम नहीं करते हैं. गुजरात के मेहसाणा जिले में बहुचरा माता का ​प्रसिद्ध मंदिर है, जहां पर नवरात्रि में श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ होती है. ​किन्नर समाज की मान्यता है कि बहुचरा माता उनकी रक्षा करती हैं.

लोक मान्यताओं के अनुसार, बहुचरा माता का जन्म चारण परिवार में हुआ था. उनको हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है. वे किन्नर समाज को सुरक्षा देने वाली देवी हैं. बहुचरा माता की शरण में जाने वालों को संतान की प्राप्ति होती है. यह देवी पवित्रता का भी प्रतीक हैं.

मुर्गे वाली माता हैं बहुचरा देवी
बहुचरा देवी को मुर्गे वाली माता भी कहा जाता है क्योंकि इस देवी का वाहन मुर्गा है और वे इस पर ही सवारी करती हैं. यह देवी पवित्रता का भी प्रतीक हैं.

नि:संतानों को देती हैं पुत्र का वरदान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बहुचरा माता के दर पर नि:संतान दंपत्ति जाते हैं. उनकी कृपा से ऐसे दंपत्तियों को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. इस वजह से मेहसाणा के बहुचरा माता मंदिर में संतान प्राप्त की मनोकामना से लोग आते हैं.

इस वजह से किन्नरों के लिए विशेष हैं बहुचरा माता
लोक कथाओं के अनुसार, गुजरात के एक राजा ने संतान प्राप्ति की उम्मीद से बहुचरा देवी की पूजा की. देवी बहुचरा उससे प्रसन्न हुई और उसके पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया. उस वरदान के प्रभाव से रानी गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जिससे वे काफी खुश हुए. लेकिन जब उनको पता चला कि उनका पुत्र नपुंसक है तो वे दुखी हो गए.

एक रात बहुचरा देवी ने उस बालक को सपने में दर्शन दीं. उन्होंने उसे अध्यात्म के मार्ग से मुक्ति प्राप्ति का मार्ग बताया. वह राजकुमार बहुचरा देवी का उपासक हो गया. इस घटना के बाद से किन्नर समाज बहुचरा देवी की पूजा करने लगा और वह इनकी कुलदेवी बन गईं.

homedharm

किन्नर अखाड़े की कुलदेवी हैं बहुचरा माता, किन्नरों के लिए कैसे बनीं विशेष?

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version