Kitchen Vastu Tips: हमारे घर का किचन सिर्फ खाना बनाने की जगह नहीं, बल्कि पूरे घर की ऊर्जा का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. यहां जो भी काम होता है, उसका सीधा असर घर के माहौल, परिवार की सोच और रिश्तों पर पड़ता है. भारत में हमेशा से यह माना गया है कि भोजन सिर्फ पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि घर की खुशहाली, प्यार और बरकत का प्रतीक है. इसी कारण किचन से जुड़े कई छोटे-बड़े नियम हमारे बुजुर्गों ने हमेशा हमें बताए हैं. इन्हीं नियमों में एक बात अक्सर सुनने को मिलती है रोटियां बनाते समय उनकी गिनती नहीं करनी चाहिए. सुनने में यह बात बहुत साधारण लग सकती है, लेकिन कई लोग मानते हैं कि यह आदत घर की पॉजिटिविटी पर असर डालती है. रोटियां गिनना, चाहे आप आदत में कर लें या समय बचाने के लिए, लेकिन इसके बारे में वास्तु में अलग ही नजरिया बताया गया है. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी से.
वास्तु कहता है कि खाना बनाना एक शांत और सहज प्रक्रिया होनी चाहिए. जितना हम इसमें हल्का मन रखेंगे, उतना ही घर का माहौल अच्छा रहेगा. लेकिन जब इस प्रक्रिया में हम गिनने, जोड़ने या सीमित करने वाली सोच जोड़ देते हैं, तो इसका असर हमारे मन, व्यवहार और घर के वातावरण पर दिखने लगता है. यही कारण है कि रोटियों को गिनना सिर्फ एक साधारण क्रिया नहीं, बल्कि ऊर्जा के बहाव से जुड़ा हुआ विषय माना गया है.
आइए समझते हैं कि रोटियां गिनना वास्तु में क्यों अच्छा नहीं माना जाता और यह आदत घर की बरकत पर कैसे असर डाल सकती है.
1. रोटियां गिनना भरपूरता की भावना को कम करता है
भारतीय घरों में हमेशा कहा गया है कि खाना जितने मन से बनेगा, उतनी ही घर में बरकत बनी रहेगी. रोटियां गिनना कई बार अनजाने में यह संकेत देता है कि चीजें सीमित हैं या सब कुछ माप-तौल कर ही किया जाना चाहिए.
यह सोच धीरे-धीरे घर में कमी का एहसास पैदा कर देती है.
जब मन में यह भाव आ जाता है कि “बस इतना ही है”, तो घर की ऊर्जा भी वैसी ही हो जाती है सीमित, दबावभरी और रुकावट वाली.
2. किचन की पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो रुक जाता है
किचन को हमेशा घर का दिल कहा गया है. यहां की ऊर्जा सीधी परिवार तक पहुंचती है.
जब आप खाना बनाते हुए हर रोटी को गिन-गिन कर बना रहे हों, तो आपका मन लगातार तनाव में रहता है.
सोच बढ़ जाती है, मन बेचैन होता है और खाना बनाने का सहज भाव खत्म हो जाता है.
वास्तु मानता है कि जब मन में हल्कापन नहीं रहता, तब घर में भी वैसी ही ऊर्जा फैलती है रुकावट वाली और कम उत्साह वाली.

3. खाना शेयर करने की भावना कमजोर हो जाती है
हमारी संस्कृति में खाना हमेशा साझा करने के लिए बनता है.
कभी कोई मेहमान आ जाए, पड़ोस से कोई आ जाए तो घर का खाना हमेशा उनके लिए खुला होता है.
लेकिन जब रोटियां गिन-गिन कर बनती हैं, तो मन में एक तरह की सीमा बन जाती है कि “बस इतनी ही हैं”.
ऐसे में अनजाने में वह पुरानी परंपरा कमजोर होने लगती है जिसमें कहा गया था कि खाने में हमेशा उदारता होनी चाहिए.
यह उदारता ही घर में बरकत बढ़ाती है और माहौल को खुशहाल बनाती है.

4. भोजन की पवित्रता पर असर पड़ता है
खाना बनाना सिर्फ रोज का काम नहीं, बल्कि मन को शांत करने वाली प्रक्रिया माना गया है.
जब आप रोटियां गिनते हैं, तो ध्यान खाना बनाने में नहीं, बल्कि गणना में लगा रहता है.
यह आदत भोजन की पवित्रता और उसकी ऊर्जा को कम कर देती है.
वास्तु कहता है कि भोजन में जितनी सहजता होगी, उतनी ही जीवन में सरलता आएगी.
5. मानसिक शांति भी प्रभावित होती है
रोजमर्रा के काम जितने सहज हों, मन उतना शांत रहता है.
लेकिन छोटी-छोटी चीजों को गिनने की आदत मन में चिंता बढ़ाती है.
धीरे-धीरे यह तनाव खाने की ऊर्जा पर असर डालता है और परिवार के माहौल में भी हल्का तनाव आ सकता है.






