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Kodungallur Mandir: कोडुंगल्लूर मंदिर की अधिष्ठात्री देवी हैं मां भद्रकाली. यहां उनकी प्रचंड रूप में मूर्ति स्थापित है जिसमें उनके आठों हाथ विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित हैं. मां के एक हाथ में तलवार है तो…और पढ़ें

कोडुंगल्लूर मंदिर
हाइलाइट्स
- कोडुंगल्लूर मंदिर केरल के त्रिशूर जिले में स्थित है.
- मां भद्रकाली को समर्पित यह मंदिर अनूठी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है.
- भरणी उत्सव में भक्त अश्लील गाने गाते और गालियां देते हैं.
Kodungallur Mandir: दक्षिण भारत अपनी प्राचीन कला और अद्भुत मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. इन मंदिरों की भव्यता ही नहीं इनसे जुड़ी अनोखी परंपराएं भी लोगों को अपनी ओर खींचती हैं. केरल के त्रिशूर जिले में स्थित कोडुंगल्लूर मंदिर इन्हीं विशेषताओं का प्रतीक है. मां भद्रकाली को समर्पित यह मंदिर अपनी अनूठी परंपराओं और भव्य उत्सवों के लिए जाना जाता है. मंदिर की विशिष्ट केरल स्थापत्य शैली और गुप्त कक्षों को रहस्यमय माना जाता है. यह मंदिर सालभर खुला रहता है और त्रिशूर से रेल, बस और टैक्सी के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है.
मां भद्रकाली का दिव्य स्थान
कोडुंगल्लूर मंदिर की अधिष्ठात्री देवी हैं मां भद्रकाली. यहां उनकी प्रचंड रूप में मूर्ति स्थापित है जिसमें उनके आठों हाथ विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित हैं. मां के एक हाथ में तलवार है तो दूसरे में अंगूठी और एक हाथ में राक्षस राजा दारुका का सिर. यह रूप भक्तों को मां की शक्ति और सामर्थ्य का एहसास कराता है. स्थानीय लोग मां भद्रकाली को ‘कोडुंगल्लूर अम्मा’ के नाम से पुकारते हैं. यह मंदिर 64 क्षीकुरुम्बा कवों का प्रमुख केंद्र भी है.
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एक अनोखा इतिहास
कोडुंगल्लूर मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है. माना जाता है कि इसका निर्माण चेरमान पेरुमल ने कराया था. इस मंदिर में मां काली की प्रचंड रूप में मूर्ति स्थापित है जिन्हें स्थानीय लोग कोडुंगल्लूर अम्मा के नाम से पुकारते हैं. यहां की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में पूजा करने के तरीके और परंपराएं अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग हैं.
मंदिर की वास्तुकला और रहस्य
यह मंदिर विशिष्ट केरल स्थापत्य शैली में बना है और इसमें कई गुप्त रास्ते और कक्ष हैं. मंदिर में मां भद्रकाली की एक विशाल और भव्य मूर्ति स्थापित है जो भक्तों को अपनी शक्ति और तेजस्विता का अनुभव कराती है.
कोडुंगल्लूर मंदिर के बारे में कुछ और रोचक बातें
- यह मंदिर केरल में देवी काली के शक्तिपीठों में से एक है.
- यह मंदिर विशिष्ट केरल स्थापत्य शैली में बना है.
- इस मंदिर में कई गुप्त रास्ते और कक्ष हैं.
- इस मंदिर में भद्रकाली की प्रचंड रूप में मूर्ति स्थापित है.
भरणी उत्सव: आस्था और उत्साह का संगम
कोडुंगल्लूर मंदिर का सबसे प्रसिद्ध उत्सव है भरणी त्योहार. यह हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है और इसे केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है. इस उत्सव के दौरान भक्त मां भगवती को गालियां देते हैं और मंदिर की छत पर लाठियों से प्रहार करते हैं. इसके साथ ही मंदिर के दैत्य (वेलिचप्पड़) देवी की तरह कपड़े पहनकर और तलवारें लिए हुए एक अजीब सी अवस्था में मंदिर के चारों ओर दौड़ते हैं.
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इस उत्सव की शुरुआत ‘कोझिकलकु मूडल’ नामक अनुष्ठान से होती है. इस अनुष्ठान में मुर्गों की बलि दी जाती है और उनके रक्त को बहाया जाता है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इससे मां काली और राक्षस प्रसन्न होते हैं. प्राचीन काल में यहां जानवरों की बलि चढ़ाने की परंपरा थी जिसमें बकरी, पक्षी आदि शामिल थे. हालांकि अब इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. फिर भी धार्मिक अनुष्ठानों में इसकी झलक अब भी देखने को मिलती है. आजकल श्रद्धालु मां को लाल धोती, सोना-चांदी और अन्य बहुमूल्य उपहार चढ़ाते हैं.
कैसे पहुंचे कोडुंगल्लूर मंदिर
यह मंदिर साल भर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है लेकिन त्योहार के समय यहां की रौनक देखते ही बनती है. त्रिशूर जिले में स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आप रेलवे, बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं.
March 12, 2025, 13:47 IST
यहां देवी को खुश करने के लिए दी जाती हैं गालियां