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kojagiri sharad purnima ki vrat katha in hindi | कोजागरी शरद पूर्णिमा की संपूर्ण व्रत कथा


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Kojagiri Purnima Vrat Katha 2025: शरद पूर्णिमा की व्रत कथा हमें सिखाती है कि जो व्यक्ति श्रद्धा, संयम और सत्कर्म से जागता है, उस पर मां लक्ष्मी और चंद्रमा दोनों की कृपा बरसती है. यह रात्रि केवल बाहरी चांदनी नहीं, बल्कि आंतरिक प्रकाश और समृद्धि की अनुभूति है. आइए पढ़ें कोजागरी शरद पूर्णिमा की संपूर्ण व्रत कथा…

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कोजागरी शरद पूर्णिमा की संपूर्ण व्रत कथा, मां लक्ष्मी करती हैं कृपा

Kojagiri Sharad Purnima Ki Vrat Katha In Hindi: शरद पूर्णिमा व्रत कथा का महत्व अत्यंत गूढ़ और मंगलकारी है. यह केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि मां लक्ष्मी की कृपा, चंद्रमा की शीतलता और भक्ति की जागृति का प्रतीक है. इस दिन का व्रत और कथा, धन, सौभाग्य, आरोग्य और मानसिक शांति चारों प्रकार के सुख प्रदान करता है. शरद पूर्णिमा का कोजागरी व्रत सभी प्रकार के अर्थ, सुख और सौभाग्य की सिद्धि देता है; इसमें कोई संशय नहीं. यहां पढ़ें शरद कोजागरी पूर्णिमा की व्रत कथा…

शरद कोजागिरी पूर्णिमा व्रत कथा (Kojagiri Sharad Purnima Vrat Katha)

एक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं और दोनो ही विधिवत रूप से पूर्णिमा का व्रत रखती थीं. लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी. इसका परिणाम यह हुआ कि छोटी बेटी की संतान पैदा होते ही मर जाती थी. परेशान छोटी बेटी ने पंडितों से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया की तुम काफी समय से पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती थी, जिसके कारण तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है. पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती हैं.

छोटी बेटी ने पंडितों की सलाह पर पूर्णिमा का पूरा व्रत कैसे करते हैं इसकी संपूर्ण विधि जानी. पूर्णिमा का व्रत करने के बाद, उसे एक लड़का पैदा हुआ. जो कुछ दिनों बाद ही फिर से मर गया. उसने लड़के को एक पाटे (पीढ़ा) पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया. फिर बड़ी बहन को बुलाकर लाई और बैठने के लिए वही पाटा दे दिया.

बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका घाघरा बच्चे का छू गया. बच्चा घाघरा छूते ही रोने लगा. तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी. मेरे बैठने से यह मर जाता. तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था. तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया है. तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है. उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया.

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कोजागरी शरद पूर्णिमा की संपूर्ण व्रत कथा, मां लक्ष्मी करती हैं कृपा

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