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Kumaon ki Kashi : जैसे काशी में भैरवनाथ…ये देवता करते हैं बागेश्वर की सुरक्षा, यहां पूजा से पलट जाएगी किस्मत


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Kaal Bhairav Mandir : जो भी कालभैरव की आराधना करता है, उसके जीवन से भय, संकट और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं. शिव का ये रौद्र स्वरूप साहस, निडरता और न्याय का प्रतीक है. यहां पारंपरिक कुमाऊं शैली में बने इस मंदिर में पत्थर और लकड़ी की नक्काशी देखते ही बनती है. ये जगह सरयू, गोमती और सरस्वती नदियों के पावन संगम पर मौजूद है.

बागेश्वर. उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में बसे बागेश्वर नगर को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है. इस उपाधि के पीछे कई गूढ़ धार्मिक मान्यताएं छिपी हैं. सरयू, गोमती और सरस्वती नदियों के पावन संगम पर विराजमान बागनाथ मंदिर की महिमा तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन इसके निकट ही स्थित काशी के कोतवाल यानी भगवान कालभैरव का मंदिर इस नगर की धार्मिक पहचान को और भी विशेष बनाता है. कहा जाता है कि जैसे वाराणसी में भगवान शंकर की नगरी की रक्षा स्वयं भैरवनाथ करते हैं, वैसे ही बागेश्वर की सुरक्षा और निगरानी यहां के कालभैरव देवता संभालते हैं. बागेश्वर के आचार्य कैलाश उपाध्याय Bharat.one से बताते हैं कि बागेश्वर में आने वाले श्रद्धालु बाबा बागनाथ दर्शन के साथ कालभैरव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं, तभी बागनाथ के दर्शन पूर्ण माने जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति कालभैरव की आराधना करता है, उसके जीवन से भय, संकट और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं. भगवान शिव के इस रौद्र स्वरूप की पूजा साहस, निडरता और न्याय के प्रतीक रूप में की जाती है.

ये 3 चीजों बनाती हैं खास

कालभैरव मंदिर का वास्तुशिल्प अत्यंत आकर्षित करने वाला है. पारंपरिक कुमाऊं शैली में निर्मित यह मंदिर पत्थर और लकड़ी की नक्काशी से सुसज्जित है. मंदिर के गर्भगृह में विराजमान भैरवनाथ की मूर्ति अत्यंत प्रभावशाली है, जिनके चरणों में भक्त माथा टेककर शांति और शक्ति की कामना करते हैं. सरयू नदी का मधुर प्रवाह, चारों ओर का शांत वातावरण और हिमालय की छाया इस स्थल को ध्यान, साधना और आस्था का केंद्र बना देती है.

कौन लाया मूर्ति

हर वर्ष शिवरात्रि, कात्यायनी नवमी और भैरव अष्टमी के अवसर पर यहां विशेष पूजा-अर्चना, रुद्राभिषेक और भंडारे का आयोजन किया जाता है. इन अवसरों पर मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. भैरव आरती और रात्रि की दीप सज्जा देखते ही बनती है. इस समय पूरा क्षेत्र ‘हर-हर महादेव’ और ‘जय कालभैरव’ के जयघोष से गूंज उठता है. इतिहासकारों का मानना है कि यह मंदिर बागनाथ की सुरक्षा से जुड़ी प्राचीन मान्यताओं के अनुरूप बनाया गया था. कहा जाता है कि प्राचीन काल में जब बागेश्वर नगर की स्थापना हुई, तब यहां के साधु-संतों ने भगवान भैरव की मूर्ति स्वयं स्थापित की थी ताकि यह क्षेत्र सदैव शिव की कृपा और भैरव की रक्षा में सुरक्षित रहे.

खिचड़ी का भोग, नारियल की बलि

आज भी स्थानीय लोग किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भैरवनाथ के आशीर्वाद से करते हैं. बागेश्वर की धार्मिक यात्रा कालभैरव मंदिर के बिना अधूरी मानी जाती है. श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिकता का यह संगम स्थल न केवल कुमाऊं के लोगों की आस्था का प्रतीक है, बल्कि देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह अनुभव कराता है कि क्यों बागेश्वर को छोटी काशी कहा जाता है. बाबा कालभैरव को मास की खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. बलि के रूप में नारियल चढ़ाया जाता है. अगली बार जब आप बागेश्वर आएं तो जरूर से कालभैरव मंदिर के दर्शन करें.

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Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu… और पढ़ें

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ये देवता करते हैं बागेश्वर की सुरक्षा, यहां पूजा से पलट जाएगी किस्मत

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