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Kumbh Mela 2025 Naga Sadhu: शाही स्नान से पहले नागा साधु करते हैं 17 शृंगार, जानें क्यों माना जाता है इसे खास



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महाकुंभ में पहला शाही स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन रखा जाएगा. इस दिन नागा साधु सबसे पहले पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे और फिर आम जनता डुबकी लगाएगी. यहां पर नागा साधु बनने की प्रक्रिया सबसे खास होती है. इन साधुओं को कठिन…और पढ़ें

Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में इस साल महाकुंभ का भव्य आयोजन हो रहा है. इस दौरान दुनिया भर से श्रृद्धालु संगम नगरी में आस्था की डुबकी लगाएंगे. करीब एक माह तक यहां साधु-संतों सहित श्रृद्धालुओं का जमावड़ा देखने को मिलेगा. लेकिन आपको बता दें कि कुंभ मेले में नागा साधु आकर्षण का केंद्र होते हैं. क्योंकि उनकी जीवनशैली के बारे में हर व्यक्ति को जानने की इच्छा रहती है और नागा साधु बड़ी संख्या में महाकुंभ में शामिल होते हैं. कहा जाता है कि जब भी शाही स्नान होता है तो साधु-संतों द्वारा सबसे पहले नदियों में स्नान किया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि नागा साधु शाही स्नान में शामिल होने से पहले 17 श्रृंगार करते हैं.

नागा साधु भले ही संसार के मोहमाया के बंधनों से मुक्त हो चुके हों, लेकिन अपने श्रृंगार को ये कभी नहीं छोड़ते हैं. वहीं जब शाही स्नान में शामिल होने के लिए जाते हैं तब ये पूर्ण रूप से 17 श्रृंगार करते हैं. नागा साधुओं के बारे में विस्तार से जानते हैं पंडित रमाकांत मिश्रा से और यह भी जानते हैं कि कौन-कौन से होते हैं नागा साधुओं के 17 श्रृंगार.

सबसे पहले स्नान करते हैं नागा साधु
महाकुंभ के दौरान नागा साधु सबसे पहले शाही स्नान करते हैं. नागा अखाड़ों को प्रथम स्नान की अनुमति उनके धर्म के प्रति निष्ठा और समर्पण के लिए दी जाती है. नागा साधु भी महाकुंभ शाही स्नान की जोरो शोरो से तैयारी करते हैं. इसके लिए वे खास तौर पर पूरे 17 श्रृंगार करते हैं और फिर डुबकी लगाते हैं. चलिए जानते हैं सत्रह श्रृंगारों के बारे में

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नागाओं के 17 श्रृंगार
भभूत, लंगोट, चंदन, पैरों में कड़ा (चांदी या लोहे का), पंचकेश, अंगूठी, फूलों की माला (कमर में बांधने के लिए), हाथों में चिमटा, माथे पर रोली का लेप, डमरू, कमंडल, गुथी हुई जटा, तिलक, काजल, हाथों का कड़ा, विभूति का लेप, रुद्राक्ष.

12 साल के कठोर तप के बाद मिलती है दिक्षा
महाकुंभ में ही नागा साधुओं के 12 सालों के कठोर तप के बाद दिक्षा पूर्ण होती है. वहीं नागा साधु महाकुंभ में तब डुबकी लगाते हैं जब कि उनकी साधना पूरी हो जाती है और उनका शुद्धिकरण हो चुका होता है.

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महाकुंभ 2025
महाकुंभ का मेला 2025 में 13 जनवरी से शुरू होगा और महाकुंभ का यह पावन पर्व लगभग 44 दिनों तक चलेगा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन अंतिम स्नान किया जाएगा. अनुमान है कि इस साल महाकुंभ में करीब 35 से 40 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाने प्रयागराज पहुंच सकते हैं.

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