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भगवान शंकर ने ब्रह्मा-विष्णु के युद्ध को रोकने के लिए अग्नि स्तंभ रूप में प्रकट होकर लीला रची. ब्रह्मा के झूठ पर भैरवनाथ ने उनका पांचवां सिर काट दिया. शिवरात्रि शिवलिंग प्राकट्य का पर्व है.

भगवान शंकर ने अग्निस्तंभ का रूप त्यागकर शिवलिंग का रूप किया धारण.
हाइलाइट्स
- भगवान शंकर ने ब्रह्मा-विष्णु युद्ध रोकने के लिए अग्नि स्तंभ रूप लिया.
- ब्रह्मा के झूठ पर भैरवनाथ ने उनका पांचवां सिर काट दिया.
- शिवरात्रि शिवलिंग प्राकट्य का पर्व है, न कि शिव विवाह का.
मथुरा: भगवान शंकर ने ब्रह्मा और विष्णु के बीच हुए युद्ध को रोकने के लिए विशाल अग्नि स्तंभ ( ज्योतिर्लिंग) के रूप में प्रकट होकर एक अद्भुत लीला रची. इस स्तंभ का आदि और अंत न ब्रह्मा जी जान पाए और न ही भगवान नारायण. इसी प्रसंग में, जब ब्रह्मा जी ने झूठ बोला, तो भगवान शंकर ने भैरवनाथ को प्रकट किया, जिन्होंने ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को धड़ से अलग कर दिया. इसके बाद, भगवान शंकर ने अपने अग्नि स्तंभ स्वरूप को छोटा कर शिवलिंग के रूप में परिणत कर दिया.
शिव पुराण प्रवक्ता आचार्य मृदुल कांत शास्त्री का कहना है कि ब्रह्मा और विष्णु के बीच जब भयंकर युद्ध हुआ, तब भगवान शंकर ने अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट होकर उसे रोकने का प्रयास किया. यह स्तंभ इतना विशाल था कि ब्रह्मा और विष्णु ने इसका आदि और अंत जानने का प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे. इसी दौरान, जब ब्रह्मा जी ने झूठ का सहारा लिया, तो भगवान शंकर ने भैरवनाथ को प्रकट किया, जिन्होंने झूठ बोलने वाले ब्रह्मा जी का पांचवा सिर काट दिया.
इसके बाद, भगवान शंकर ने अपने अग्नि स्तंभ के आकार को छोटा कर शिवलिंग के रूप में प्रकट किया, जो इस सृष्टि में शिवरात्रि के रूप में प्रसिद्ध हुआ. स्वयं भगवान शंकर ने कहा कि मेरी समस्त तिथियों में शिवरात्रि सबसे पवित्र और मुझे सबसे अधिक प्रिय है.
शिवरात्रि की वास्तविकता और प्रचलित मान्यता
आचार्य मृदुल कांत शास्त्री का कहना है कि भगवान शंकर के प्राकट्य की इस पवित्र तिथि को शिव विवाह की तिथि के रूप में प्रचारित कर दिया गया, जबकि इसका असली महत्व भगवान शंकर के प्रकट होने से जुड़ा है. उन्होंने बताया कि आज तक किसी ने इस परंपरा को रोकने का प्रयास नहीं किया, जबकि शिवरात्रि का वास्तविक महत्व शिवलिंग के प्राकट्य से जुड़ा हुआ है.
महाशिवरात्रि पर क्या करना चाहिए?
आचार्य विष्णु कांत शास्त्री ने सभी सनातन धर्म अनुयायियों से आग्रह किया है कि आगामी महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का विवाह न करें, बल्कि उनकी चार प्रहर में पूजा करके शिवलिंग के प्राकट्य उत्सव को मनाएं. उन्होंने कहा कि शिवरात्रि भगवान शंकर के प्रकट होने का दिन है, न कि उनके विवाह का. इसलिए, इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
Mathura,Uttar Pradesh
March 06, 2025, 13:13 IST
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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.