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हिंदू धर्म में सभी त्योहारों का महत्व बहुत ही ज्यादा होता है इन्हीं में से हैं एक शारदीय नवरात्र जो साल में पड़ने वाली चार नवरात्रों में से एक है. यह भारत में ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों में मनाया है. यह त्योहार मां दुर्गा की पूजा – अर्चना के लिए मनाया जाता है. जो शक्ति की देवी मानी जाती है. ऐसा कहते है कि मां दुर्गा की पूजा करने से मनुष्यों को ज्ञान और साहस प्राप्त होता हैं. इस पर्व पर सभी लोग अपने घरों, दुकानों और दफ़्तरों को सजाते है. लोग जगह-जगह मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित करते हैं साथ ही पूजा-पाठ, भजन और कीर्तन का आयोजन करते हैं.

सनातन धर्म में सभी लोगों को बराबर की श्रद्धा दी जाती हैं. यहां हर कोई शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में, देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करता है. जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है. यह त्यौहार हिंदू धर्म के अनुसार अश्विन मास में मनाया जाता है. नवमी के बाद शारदीय नवरात्र का समापन दशमी यानी दशहरा को दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के रूप में होता है. इसी समय लोग जगह-जगह रामलीला का भी आयोजन करते हैं. त्रेतायुग में भगवान राम ने आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन ही लंकापति रावण का अंत किया था. जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस नवरात्र में इन नौ दिनों में मां दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा की जाती है. जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है जानें ये नौ रूप कौन से हैं.

प्रथम नवरात्रि – मां दुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री का है जो पहाड़ों की पुत्री हैं. ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. कहते है कि पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में इन्होने जन्म लिया था उसी से इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा. नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की ही पूजा और उपासना की जाती है. मां शैलपुत्री को वृषोरूढ़ा और उमा के नाम से भी जाना जाता है.

‘या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’

द्वितीय नवरात्रि – मां शैलपुत्री की पूजा के बाद नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा की दूसरी शक्ति मां ब्रह्मचारिणी के रुप की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है. यह तपस्या और साधना की प्रतीक हैं. मां ब्रह्मचारिणी को माता पार्वती के अविवाहित रूप में पूजा जाता है. वह सफेद वस्त्र धारण करती हैं. उनके दाहिने हाथ में एक रुद्राक्ष माला होती है और बाएं हाथ में कमंडल होता है.

‘या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’

तृतीय नवरात्रि – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के बाद मां चंद्रघंटा को मां दुर्गा का तीसरा रूप माना गया है. जो नवरात्र के तीसरे दिन लोगों के द्वारा पूजी जाती है. चंद्रघंटा का अर्थ है “चंद्रमा की तरह चमकने वाली” यह देवी दुर्गा का एक सुंदर और शक्तिशाली रूप है. जो अपने भक्तों को आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करती है.

‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’

चतुर्थी नवरात्रि – मां चंद्रघंटा की पूजा के बाद नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का चौथा रूप है. कूष्मांडा का अर्थ है “कूष्मांड” नामक दैत्य को मारने वाली. जो देवी दुर्गा का एक शक्तिशाली रूप है. इस दिन भक्तों को पूजा के समय साफ और सुंदर कपड़े पहनना चाहिए.

‘या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’

Navratri Festival, Navratri Celebration, Maa durga

शेर पर सवार मां दुर्गा – AI

पंचमी नवरात्रि –  मां कूष्मांडा की पूजा करने के बाद नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का पांचवा रूप है. स्कंदमाता का अर्थ है “स्कंद कुमार की माता”. जो भगवान कार्तिकेय को जन्म देने वाली माता हैं. मां स्कंद की पूजा करने से दुश्मनों और बाधाओं का नाश होता हैं.

‘या देवी सर्वभूतेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’

छष्ठी नवरात्र – स्कंदमाता की पूजा करने के बाद नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी की उत्पत्ति दानव महिषासुर का अंत करने के लिए हुआ था. भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए देवी कात्यायनी को उत्पन्न किया.

‘या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’

सप्तमी नवरात्रि – स्कंदमाता की पूजा के बाद नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि देवी की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का सातवां रूप है. कालरात्रि का अर्थ है “काली रात” जो देवी दुर्गा का एक शक्तिशाली और भयानक रूप माना जाता है.

‘या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’

अष्टमी नवरात्रि – मां कालरात्रि की पूजा के बाद नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है जो नवदुर्गाओं में आठवें दिन की देवी हैं. महागौरी का अर्थ है जिसका रंग गोरा हो और जो सुन्दर हो. महागौरी की चार भुजाएं हैं. महागौरी देवी की पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और उनके कष्ट दूर होते हैं.

‘या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ‘

नवमी नवरात्रि – मां महागौरी की पूजा के बाद मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है यह नवदुर्गाओं में नौवें दिन की देवी हैं. सिद्धिदात्री का अर्थ है जो सिद्धियों को देने वाली है. माता सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं और इनका वाहन सिंह है. इनके दाहिने हाथ में गदा और कमल हैं और बाएँ हाथ में चक्र और शंख हैं. माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति होती है.

‘या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’

दशमी नवरात्रि (विजयदशमी) – नवरात्रि के नौ दिन बाद माता के सभी रुपों की पूजा की जाती हैं जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता हैं. सभी भक्त अपने घरों में पूजा-पाठ करते हैं. इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. त्रेतायुग में इसी दिन भगवान राम ने दशानन रावण का वध किया था इसलिए इसे विजयदशमी दशहरा कहा जाता है. दशहरा के दिन रावण दहन का उत्सव भी मनाया जाता है. 

‘या देवी सर्वभूतेषु मां शक्ति रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ‘
अर्थात् –  “जो देवी सभी प्राणियों में शक्ति के रूप में विराजमान हैं. उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है. मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं.” 

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