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Maha Kumbh 2025 : ‘लटक कर जाएंगे या पैदल, लेकिन जाएंगे ज़रूर…’, श्रद्धालुओं का कुंभ के प्रति अटूट विश्वास!


Agency:Bharat.one Jharkhand

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Maha Kumbh 2025 : रांची से प्रयागराज जाने वाले श्रद्धालु टिकट न मिलने पर भी हर हाल में कुंभ पहुंचने के लिए तैयार हैं. जनरल डिब्बों में भी सफर करने का उत्साह देखने लायक है. आस्था और विश्वास के आगे अव्यवस्था कोई …और पढ़ें

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Mahakumbh

Mahakumbh 2025- जनरल में लटक कर जाएंगे लेकिन जाएंगे तो जरूर, आस्था की नगरी संगम

हाइलाइट्स

  • रांची से प्रयागराज जाने को उत्साहित श्रद्धालु.
  • टिकट न मिलने पर भी जनरल में सफर करेंगे.
  • आस्था और विश्वास के साथ कुंभ में डुबकी लगाएंगे.

रांची. झारखंड की राजधानी रांची से प्रयागराज जाने वालों श्रद्धालु का उत्साह देखते बन रहा है. ट्रेन में टिकट मिले या न मिले, जैसे भी जाएं, लेकिन जाना जरूर है. महाकुंभ में भगदड़ को लेकर कई सारे बातें निकलकर सामने आईं. लेकिन रांची के रेलवे स्टेशन का माहौल देखकर ऐसा लग रहा है कि आस्था और विश्वास के सामने किसी भी तरह की कोई भी अफवाह लोग सुनने या मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं.

चूकिं, रेलवे की तरफ से टिकट भी नहीं काटी जा रही है, वेबसाइट पर सीधा नो रूम लिख दिया गया है, यानी यात्री वेटिंग टिकट भी नहीं कटा पा रहे हैं. इसके बावजूद भी जनरल में सफर कर प्रयागराज लोग जाने की पूरी तैयारी में हैं. रांची से झारखंड संपर्क क्रांति रांची स्टेशन से प्रयागराज के लिए खुलती है, दोपहर के 3:00 बजे अपनी ट्रेन का इंतजार करते हुए धीरज बताते हैं, टिकट मिले या ना मिले उससे क्या फर्क पड़ता है, लटक के जाएंगे या पैदल जाएंगे, भाई जाएंगे तो जरूर…

हर हाल में पहुंचना है कुंभ
निकेश बताते हैं, हां जनरल का टिकट ले लिया है. लेकिन कंफर्म भी नहीं है. कैसे जाएंगे भगवान जाने, बस जनरल में घुस जाना है. ट्रेन के भीतर घुस जाना है, हमारे पास आस्था और विश्वास है और यही हमारी कुंजी है. भगवान ने बुलाया है और वही समझेंगे, लेकिन यहां पर हर एक श्रद्धालु ही हैं. एक बार संगम नगरी में डुबकी लगा लें, टिकट का क्या है कभी और अच्छे से सफर कर लेंगे.

अंकित बताते हैं, यह महाकुंभ है, बहुत सौभाग्य से ही अवसर मिला है. हमारी पिछली पीढ़ी ने इसे नहीं देखा, हमारी आने वाली पीढ़ी भी नहीं दिखेगी. ऐसे में सिर्फ ट्रेन का टिकट तो बहाना है. हम इसको टाल तो नहीं सकते. जनरल में जाएंगे क्या फर्क पड़ता है. अगर कंफर्म ना मिले तो एक सफर अगर बैठकर ही करना पड़े तो क्या हुआ. वहां कुंभ के आस्था के सामने यह कुछ भी नहीं है.

‘सब भगवान भरोसे छोड़ दिया’
महेश बाबू बताते हैं, बस एक बार कैसे भी करते संगम पहुंच जाएं, 1 महीने पहले से टिकट का ट्राई कर रहे हैं, लेकिन मिल ही नहीं रही है. सीधे तौर पर नो रूम लिख दिया जा रहा है. यानी कि टिकट कटेगा ही नहीं. इसमें हम क्या कर सकते हैं, टिकट तो बस एक बहाना है. जाने वाला चल ही जाएगा, जनरल में जाएंगे. हालांकि, मेरा स्लीपर में टिकट कंफर्म है. लेकिन भीड़ देखकर लग रहा स्लीपर का भी जनरल वाला हाल होगा. लेकिन कोई बात नहीं, महादेव जी का नाम लेकर सब पार हो जाएगा.

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‘लटक कर जाएं या पैदल, जाएंगे ज़रूर…’ श्रद्धालुओं का कुंभ के प्रति अटूट विश्वास

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