त्रिवेणी संगम में स्नान करना बहुत पवित्र माना जाता है.साधु-संत, महात्मा महाकुंभ का इंतजार करते हैं.
Maha Kumbh Shahi Snan 2025: महाकुंभ इस साल प्रयागराज में लगने जा रहा है. 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है और इसका समापन 26 जनवरी को होगा. प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ का विशेष महत्व माना जाता है, यहां होने वाले शाही स्नान में अगर कोई डुबकी लगा लेता है तो उसे पुण्य की प्राप्ति होती है और यह बेहद शुभकारी माना जाता है. क्योंकि प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती तिनों नदियों का मिलन होता है. इस बारे में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ में संगम में शाही स्नान करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके जीवन के समस्त पाप कटते हैं. संगम को त्रिवेणी भी कहते हैं, ऐसे में त्रिवेणी संगम पर स्नान करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि शाही स्नान क्यों और किस कारण से किया जाता है? अगर नहीं तो आइए आपको बताते हैं इसके महत्व के बारे में.
सनातन धर्म में प्रयागराज का त्रिवेणी संगम में स्नान करना बहुत पवित्र माना जाता है. प्रयागराज एकमात्र ऐसी जगह है जहां संगम में गंगा, सरस्वती और यमुना के मिलन का नजारा देखने को मिलता है. साधु-संत, महात्मा महाकुंभ का इंतजार करते हैं क्योंकि इसमें महात्माओं और साधु, संतों का सम्मान पूर्वक स्नान करवाया जाता है, इसलिए इसे शाही स्नान कहा जाता है.
शाही स्नान के नियम
महाकुंभ पर्व एक ऐसा आयोजन है, जिसमें देश दुनिया भर से श्रद्धालु हिस्सा लेने के लिए आते हैं. शाही स्नान इस मेले की सबसे अहम परंपरा है, जो श्रद्धा और आस्था का प्रतीक माना जाता है. इस विशेष स्नान का उद्देश्य सिर्फ शारीरिक शुद्धता नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धता भी प्राप्त करना है. शाही स्नान के लिए श्रद्धालुओं को कुछ विशेष नियमों का पालन करना पड़ता हैं, जो इस अनुभव को और भी पवित्र बना देते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शाही स्नान में सबसे पहले साधु-संत पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं, उसके बाद आम श्रद्धालु यह काम करते हैं. माना जाता है कि इस दौरान जल में ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव के कारण अद्भुत शक्तियां समाहित हो जाती हैं. यह स्नान शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. स्नान के समय किसी भी प्रकार के साबुन या शैंपू का इस्तेमाल करना वर्जित होता है क्योंकि यह पवित्र जल को अशुद्ध कर सकता है. स्नान के बाद श्रद्धालु गरीबों को दान देते हैं, जिसमें वस्त्र, अन्न और अन्य जरुरत की चीजें शामिल होती हैं.
शाही स्नान के शुभ मुहुर्त
2025 के महाकुंभ में पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन होगा, जो विशेष रूप से शुभ समय में सम्पन्न होगा. यह दिन श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय और फलदायी अवसर होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 को सुबह 5 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर 14 जनवरी को रात 3 बजकर 56 मिनट तक रहेगी. इस दौरान स्नान के शुभ मुहूर्त हैं
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2 बजकर 15 मिनट से 2 बजकर 57 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 09 मिनट तक
निशिता मुहूर्त: रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
जानें कुंभ महापर्व 2025 शाही स्नान की तिथियां
पहला शाही स्नान – 13 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति
दूसरा शाही स्नान – 29 जनवरी 2025 – मौनी अमावस्या
तीसरा शाही स्नान – 3 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी
चौथा शाही स्नान – 12 फरवरी 2025 – माघी पूर्णिमा
पांचवा शाही स्नान – 26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि
FIRST PUBLISHED : December 28, 2024, 09:10 IST