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Maha Shivratri 2025: छत्तीसगढ़ की काशी में महादेव का महापर्व, तैयारियों की झलकियों के बीच उमड़ा भक्तों का सैलाब


Agency:Local18

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छत्तीसगढ़ के काशी में कहे जाने वाले खरौद में एक ऐसा शिवलिंग है, जिसमे सवा लाख छिद्र, इसे लक्ष लिंग भी कहा जाता है, यहां चढ़ता है सवा लाख चावल चढ़ाने की परंपरा है.

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लक्ष्मणेश्वर

लक्ष्मणेश्वर महादेव खरौद 

जांजगीर चांपा/लखेश्वर यादव – जांजगीर चांपा जिले के खरौद नगर में स्थित लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर एक अद्भुत ऐतिहासिक धरोहर है। यह मंदिर अपने आप में आश्चर्यों से भरा है और यहां का शिवलिंग विशेष आकर्षण का केंद्र है।

ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
इस शिवलिंग को लक्ष्मणेश्वर महादेव कहा जाता है, क्योंकि इसमें सवा लाख छिद्र हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने यहां खर और दूषण का वध किया था, जिसके कारण इस स्थल का नाम खरौद पड़ा. मंदिर की भौगोलिक स्थिति, शिवरीनारायण से 3 किलोमीटर, जांजगीर जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर और रायपुर से 120 किलोमीटर की दूरी पर होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ की काशी भी कहा जाता है.

विशेष गुण और चमत्कार
यह शिवलिंग जमीन से लगभग 30 फीट ऊपर स्थित है. मंदिर में एक ऐसा छिद्र पातालगामी है, जिसमें कितना भी जल डालो, वह उसमें समा जाता है, जबकि दूसरा छेद अक्षय कुण्ड की तरह है, जिसमें जल सदैव बना रहता है. इसके अतिरिक्त, इसमें गंगा, जमुना और सरस्वती की प्रतीकात्मक उपस्थिति दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है.

पूजा और परंपरा
महाशिवरात्रि और सावन के महीनों में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. हजारों श्रद्धालु दूर-दराज से यहां पूजा, अभिषेक और फूल, बेलपत्र के साथ जल अर्पण करने आते हैं. विशेष रूप से महाशिवरात्रि पर, लक्ष्मणेश्वर महादेव में सवा लाख चावल के नग चढ़ाने की परंपरा है, जिसे लाख चाउर या लक्ष चावल भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन आस्थापूर्ण कर्मों से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

खरौद नगर का यह अद्वितीय मंदिर न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी पूजा-अर्चना और चमत्कारिक गुण भक्तों के दिलों में अटूट श्रद्धा का संचार करते हैं.

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छत्तीसगढ़ की काशी में महादेव का महापर्व, तैयारियों के बीच भक्तों का जनसैलाब

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