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MahaKumb 2025: न मंदिर, न मूर्ति, रामनाम ही है अवतार, रामनाम ही ले जाएगा भवसागर पार… रामनामी संप्रदाय के अनुयायी महाकुंभ में अमृत स्नान करने आए हैं. रामनामी संप्रदाय के लोग पूरे शरीर पर राम नाम गुदवाते हैं. य…और पढ़ें

न मंदिर, न मूर्ति, रामनाम ही है अवतार, रामनाम ही ले जाएगा भवसागर पार…
MahaKumb 2025: सनातन संस्कृति के महापर्व महाकुंभ में सम्मिलित होने तरह-तरह के साधु, संन्यासी, जाति, पंथ, संप्रदाय के लोग देश के कोने-कोने से आते हैं. इस क्रम में महाकुंभ में सम्मिलित होने छत्तीसगढ़ के रहने वाले रामनामी संप्रदाय के अनुयायी पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाने आए हैं. पूरे शरीर में राम नाम का गोदना, सफेद वस्त्र और सिर पर मोरपंख का मुकुट धारण किए हुए संगम की रेती पर राम भजन करते हुए महाकुंभ में स्नान को बेताब हैं.
शरीर में गुदवाया राम का नाम
पौराणिक मान्यता और परंपरा के अनुसार, महाकुंभ में पवित्र संगम में स्नान करने सनातन आस्था से जुड़े सभी जाति, पंथ और संप्रदाय के लोग आते हैं. इसी में से एक हैं छत्तीसगढ़ के जांजगीर, भिलाई, दुर्ग, बालोदाबजार, सांरगगढ़ से आए रामनामी संप्रदाय के लोग. इन लोगों ने अपने पूरे शरीर पर राम नाम गुदवा रखा है.
रामनामी संप्रदाय की कैसे हुई शुरुआत
जानकारी के अनुसार, रामनामी संप्रदाय की ये अनोखी परंपरा 19वीं शताब्दी में शुरू हुई थी. कहा जाता है कि, जब सनातन संस्कृति के तथाकथित उच्च वर्ग के लोगों ने छत्तीगढ़ में कुछ जनजाति के लोगों को मंदिर में प्रवेश करने और मूर्ति पूजा से वंचित किया था. इससे नाखुश होकर जनजाति के लोगों ने शरीर पर ही राम नाम अंकित कर अपनी देह को राम का मंदिर बना लिया. रामनामी संप्रदाय की शुरुआत जांजगीर चंपा के परशुराम जी से मानी जाती है. ये लोग राम नाम लिखा हुआ सफेद वस्त्र और सिर पर मोरपंख से बना मुकुट धारण करते हैं. राम नाम का जाप और मानस की चौपाईयों का भजन करते हैं. ये लोग मंदिर और मूर्ति पूजा नहीं करते, वो निर्गुण राम के उपासक हैं. वर्तमान में रामनामी संप्रदाय के लगभग 10 लाख से अधिक अनुयायी मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के जिलों में रहते हैं.
मौनी अमावस्या पर लगाएंगे डुबकी
राम नाम ही अवतार, राम नाम ही भवसागर की पतवार… रामनामी संप्रदाय के कौशल रामनामी का कहना है कि महाकुंभ में पवित्र स्नान करने उनके पंथ के लोग जरूर आते हैं. मौनी अमावस्या की तिथि पर राम नाम का जाप करते हुए हम सब संगम में अमृत स्नान करेंगे. छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ से आये कौशल रामनामी का कहना है पिछली पांच पीढ़ी से उनके पुरखे महाकुंभ में सम्मिलित होने आते रहे हैं.
हमारे बच्चे भी जारी रखेंगे यह परंपरा
कौशल रामनामी कहते हैं कि, आने वाले समय में हमारे बच्चे भी परंपरा जारी रखेंगे. कहा- इस महाकुंभ में सारंगढ़, भिलाई, बालोद बाजार और जांजगीर से लगभग 200 रामनामी हमारे साथ आए हैं. अभी और भी लोग मौनी अमावस्या से पहले प्रयागराज आ रहे हैं. हम लोग परंपरा के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन राम नाम का जाप करते हुए त्रिवेणी संगम में स्नान करेंगे. राम भजन करते हुए महाकुंभ से अपने क्षेत्रों में लौट जाएंगे. उन्होंने बताया कि वो रामनाम को ही अवतार और भवसागर की पतवार मानते हैं.
January 26, 2025, 11:08 IST
MahaKumb 2025:बदन पर राम नाम और जुबां पर जाप के साथ महाकुंभ पहुंचा अनोखा जत्था