MahaKumbh 2025 Origin Story: कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है. हर 12 साल में भारत के चार पवित्र शहर हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होने वाला यह मेला लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मेले के पीछे एक अद्भुत पौराणिक कथा छिपी हुई है?
समुद्र मंथन की कथा
कुंभ मेले की उत्पत्ति समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी है. पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था. इस मंथन से अनेक अद्भुत वस्तुएं निकलीं, जिनमें से एक था अमृत कलश. अमृत पीने से देवता अमर हो जाते हैं.
अमृत चोरी का प्रयास
अमृत कलश को लेकर देवताओं और दानवों के बीच युद्ध छिड़ गया. इस युद्ध में अमृत कलश कई बार आसमान में उड़ गया और उसकी कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरीं – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक.
कुंभ मेले का आयोजन
मान्यता है कि जिन स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरी थीं, वो स्थान पवित्र हो गए. इन स्थानों पर स्नान करने से मोक्ष मिलता है. इसीलिए इन चारों स्थानों पर हर 12 साल में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है. माना जाता है कि कुंभ मेले के दौरान इन नदियों में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कुंभ मेले का महत्व
कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक समागम ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक भी है. यह मेला लाखों लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक एकता का प्रतीक है.
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कुंभ मेले से जुड़े तथ्य
कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है.
कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित किया जाता है.
कुंभ मेला चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक.
कुंभ मेले की उत्पत्ति समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी हुई है.
कुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं.
नोट- इस लेख में हमने कुंभ मेले के पीछे की पौराणिक कथा को विस्तार से समझाया है. उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी.
FIRST PUBLISHED : January 7, 2025, 14:03 IST