Friday, October 3, 2025
25.6 C
Surat

Mahalaxmi Vrat 2025: महालक्ष्मी व्रत आज से शुरू? 15 दिन इस विधि से करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व


Mahalaxmi Vrat 2025 Puja Time: सनातन धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व होता है. महालक्ष्मी व्रत इनमें से एक है. इस व्रत में मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. बता दें कि, लक्ष्मी जी को पद्मा, रमा, कमला, इंदिरा, विष्णुप्रिया, हरिप्रिया, भार्गवी और महालक्ष्मी भी कहा गया है. बता दें कि, यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है और यह 15 या 16 दिनों तक चलता है.तिथियों के अनुसार, इस बार महालक्ष्मी व्रत 15 दिनों का है. यानी 15 दिन तक व्रत रख मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी. धार्मिक मान्यता है कि, जो व्यक्ति विधि विधान से महालक्ष्मी व्रत करता है, उसके घर में माता लक्ष्मी का वास होता है, जिससे धन और वैभव में बढ़ोतरी होती है. अब सवाल है कि आखिर, महालक्ष्मी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है? महालक्ष्मी व्रत का महत्व क्या है? व्रत के दौरान कैसे करें महालक्ष्मी का पूजन? आइए जानते हैं इस बारे में-

महालक्ष्मी व्रत कब से शुरू है?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत के लिए भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि का शुभारंभ 30 अगस्त शनिवार को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा और यह तिथि 1 सितंबर सोमवार को 12 बजकर 57 एएम पर खत्म होगी. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर महालक्ष्मी व्रत का शुभांरभ 31 अगस्त रविवार को होगा.

महालक्ष्मी व्रत के शुभ मुहूर्त?

30 अगस्त के दिन महालक्ष्मी व्रत पर ब्रह्म मुहूर्त 04:29 ए एम से 05:14 ए एम तक है. उस दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है. इस दिन चंद्रोदय दोपहर में 1 बजकर 11 मिनट पर होगा.

महालक्ष्मी व्रत के पहले दिन वैधृति योग प्रात: काल से लेकर दोपहर 03 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. उसके बाद विष्कम्भ योग बन रहा है. उस दिन अनुराधा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 05 बजकर 27 मिनट तक है. उसके बाद से ज्येष्ठा नक्षत्र है. व्रत के दिन सूर्योदय 05:59 ए एम पर और सूर्यास्त 06:44 पी एम पर होगा.

महालक्ष्मी व्रत का समापन

हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक, 31 अगस्त को शुरू होने वाला महालक्ष्मी व्रत 14 सितंबर रविवार को खत्म होगा. उस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करके व्रत का पारण किया जाएगा.

महालक्ष्मी व्रत की सही पूजा विधि

महालक्ष्मी व्रत के दिन सुबह में स्नान आदि ​से निवृत होकर 16 कच्चे सूत का एक डोरा बनाएं. उसमें 16 गांठें लगाएं और उसे हल्दी से रंग दें. 15 दिन तक लगातार उस पर दूर्वा और गे​हूं अर्पित करें. आश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन व्रत रखें. मिट्टी के हाथी पर माता महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. फिर विधिपूर्वक पूजा करें. इसके तत्पश्चात् महालक्ष्मी व्रत कथा सुनें.

महालक्ष्मी व्रत पर स्वर्ग की भद्रा

महालक्ष्मी व्रत के दिन भद्रा लगेगी. भद्रा का प्रारंभ सुबह में 5 बजकर 59 मिनट से होगा और यह दिन में 11 बजकर 54 मिनट तक रहेगी. इस भद्रा का वास स्वर्ग में है. स्वर्ग की भद्रा का दुष्प्रभाव धरती पर नहीं होता है. ऐसे में आप शुभ कार्य कर सकते हैं.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

Hot this week

Topics

aaj ka Vrishchik rashifal 04 October 2025 Scorpio horoscope in hindi

दरभंगा: 4 अक्टूबर 2025 शनिवार का दिन वृश्चिक...

Swadeshi massage machines reveal health secrets at Godda fair

Last Updated:October 03, 2025, 23:00 ISTGodda Fair News:...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img