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Mandir mein Chadhaye Phool ka Visarjan: वास्तु शास्त्र में पूजा-पाठ के कई नियम बताए गए हैं. इन्हीं में से एक भगवान को चढ़ाए गए फूल को लेकर है.ऐसे में आइए जानते हैं कि मंदिर में भगवान को अर्पित किए गए फूल कितनी देर में हटा लेने चाहिए.
शुभम मरमट / उज्जैन. हिन्दू धर्म में भगवान की पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व है. भगवान को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई प्रकार से जतन भी करते हैं. अक्सर देखा जाता है सुगंधित फूलों के बगैर पूजा अधूरी सी मानी जाती है. इसलिए भगवान को प्रसन्न करने के लिए भक्त फूल अर्पित जरूर करते हैं. और घरों में पूजा के दौरान फूल चढ़ाना एक सदियों पुरानी धार्मिक परंपरा है. ये फूल न केवल भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा को दर्शाते हैं, बल्कि पूजा स्थल को एक सकारात्मक ऊर्जा से भी भर देते हैं.
लेकिन, जब ये फूल मुरझा जाते हैं, तो इन्हें हटाने की बारी आती है. तो कई लोग इन्हें कूड़ेदान या घर से दूर में फेंक देते हैं. लेकिन ऐसा करना बिलकुल भी शुभ नहीं माना जाता है. क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करना देवताओं का अपमान माना जाता है. आइए उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते हैं कि मुरझाए हुए इन पवित्र फूलों को सही तरीके से कैसे विसर्जित किया जाए, ताकि उनकी सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और हमें पुण्य की प्राप्ति हो.
घर के मंदिर से कब हटाना चाहिए फूल
वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर में चढ़ाए गए फूलों को तुरंत नहीं, लेकिन दिन ढलने से पहले हटा देना चाहिए. वास्तु के अनुसार, सूखे हुए फूलों को मंदिर में रखना शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं. साथ ही, इससे घर का माहौल तनावपूर्ण बन जाता है और घर के लोगों में चिड़चिड़ापन या गुस्सा बढ़ सकता है. इसलिए पूजा घर में चढ़ाए गए फूलों को समय रहते हटाना देना चाहिए.
ऐसे करे मुरझाए हुए फूल का विसर्जन
पुराने फूलों को विसर्जित करने का यह सबसे अच्छा और पारंपरिक तरीका है. मुरझाए हुए फूलों को किसी पवित्र नदी (जैसे गंगा, यमुना), शुद्ध बहते पानी (जैसे नहर, तालाब या बड़ी झील) में सम्मानपूर्वक विसर्जित करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि पानी में विसर्जित करने से ये फूल प्रकृति के चरणों में लौट जाते हैं और उनका अनादर नहीं होता है.
आसपास नही हो पवित्र कुंड, तालाब, नदी फिर?
कुछ पेड़-पौधे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माने जाते हैं. आप उनके नीचे भी फूल विसर्जित कर सकते हैं. इन फूलों को धार्मिक दृष्टि से पूजनीय वृक्षों, जैसे पीपल, बरगद या तुलसी के पौधे की जड़ों में सम्मानपूर्वक विसर्जित किया जा सकता है. मान्यता के अनुसार, इन वृक्षों में देवताओं का निवास माना जाता है, इसलिए इनकी जड़ें फूलों के विसर्जन के लिए एक पवित्र स्थान बन जाती हैं.

Shweta Singh, currently working with News18MPCG (Digital), has been crafting impactful stories in digital journalism for more than two years. From hyperlocal issues to politics, crime, astrology, and lifestyle,…और पढ़ें
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