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Mangal ka Gochar : मंगल देव 3 अप्रैल को मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश कर चुके हैं और 6 जून तक रहेंगे. इसका देश-दुनिया पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. विभिन्न भावों में मंगल का गोचर रक्त विकार, धन लाभ, विवाद, कष्ट आदि ला…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- मंगल का गोचर 3 अप्रैल से 6 जून तक कर्क राशि में रहेगा.
- मंगल का गोचर रक्त विकार, धन लाभ, विवाद, कष्ट ला सकता है.
- मंगल का गोचर मौसम, बाढ़, भूकंप, युद्ध जैसी घटनाओं को बढ़ा सकता है.
Mangal ka Gochar : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल देव 3 अप्रैल को राशि परिवर्तन कर चुके हैं. मिथुन राशि से निकलकर मंगल देव कर्क राशि में 6 जून तक रहेंगे. यह मंगल देव की नीच राशि मानी जाती है. मंगल देव के नीच राशि में आने की वजह से देश और दुनिया पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा.
क्या होगा असर : मंगल को ऊर्जा और साहस का कारक माना जाता है. इसके अलावा व्यक्ति के शरीर में रक्त का कारक भी मंगल होता है. नीच राशि में जाने से मंगल से संबंधित चीजों में दिक्कतें आ सकती हैं. जिसकी वजह से मौसम में परिवर्तन, बाढ़, भूकंप जैसी घटनाओं की वृद्धि हो सकती है. युद्ध जैसे हालात भी बन सकते हैं. मंगल के गोचर से जन्म कुंडली के सभी 12 भाव में क्या असर होता है? आइये विस्तार से जानते हैं.
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विभिन्न भावों में मंगल ग्रह का गोचर प्रभाव :
- जन्मकालीन चन्द्र से प्रथम स्थान पर मंगल का गोचर रक्त विकार, असफलता, ज्वर, अग्नि से हानि करता है. यात्रा में दुर्घटना का भय रहता है. स्त्री को कष्ट होता है.
- दूसरे स्थान पर मंगल का गोचर नेत्र दोष, कठोर वचन, विद्या हानि, परिवार में मतभेद, दूषित भोजन व असफलता दिलाता है.
- तीसरे स्थान पर मंगल का गोचर धन लाभ, शत्रु पराजय प्रभाव में वृद्धि, राज्य से लाभ, शुभ समाचार प्राप्ति कराता है. मन प्रसन्न रहता व भाग्य अनुकूल रहता है.
- चौथे स्थान पर मंगल का गोचर स्वजनों से विवाद, सुख हीनता, छाती में कफ विकार, जल से भय करता है. जमीन -जायदाद की समस्या, माता को कष्ट, जन विरोध का सामना होता है.
- पांचवें स्थान पर मंगल का गोचर मन में अशांति, उदर विकार, संतान कष्ट, विद्या में असफलता करता है. मन पाप कार्यों की तरफ जाता है.
- छटे स्थान पर मंगल का गोचर धन लाभ, उत्तम स्वास्थ्य, शत्रु पराजय, यश मान में वृद्धि देता है.
- सातवें स्थान पर मंगल के गोचर से स्त्री से कलह, स्त्री को कष्ट यात्रा में हानि, दांत में पीड़ा, व्यापार में हानि करता है.
- आठवें स्थान पर मंगल के गोचर से पित्त रोग, विवाद, शारीरिक कष्ट, पाचनहीनता, दुर्घटना, अग्नि, हिंसा व बिजली से भय होता है. गुदा सम्बन्धी रोग होता है. भाई से अनबन व कार्य हानि होती है.
- नवें स्थान पर मंगल के गोचर से संतान कष्ट, भाग्य की विपरीतता, सरकार की और से परेशानी होती है. धर्म के विरुद्ध आचरण होता है. कूल्हे में चोट का भय होता है.
- दसवें स्थान पर मंगल के गोचर से रोजगार में बाधा, पिता को कष्ट व राज्य से प्रतिकूलता होती है.
- ग्यारहवें स्थान पर मंगल के गोचर से आय वृद्धि, व्यापार में लाभ, आरोग्यता, भूमि लाभ, भाइयों को सुख, कार्यों में सफलता, शत्रु पराजय, मित्र सुख व लाल पदाथों से लाभ होता है.
- बारहवें स्थान पर मंगल के गोचर से अपव्यय, स्थान हानि, स्त्री को कष्ट, शारीरिक कष्ट, मानसिक चिंता होती है तथा किसी गलत कार्य में रूचि होती है.