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Margashirsha Amavasya Date: सनातन धर्म में मार्गशीर्ष माह को पवित्र माना गया है. इस माह की अमावस्या पितरों के तर्पण और भगवान विष्णु की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है. इस साल तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है .उज्जैन के आचार्य से जानिए सही तिथि.
Ujjain News. हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष का महीना दान-पुण्य के लिए बेहद शुभ माना जाता है. साथ ही अमावस्या की तिथि बड़ी पावन और विशेष मानी गई है. साल में 12 अमावस्या की तिथियां पड़ती हैं. मार्गशीर्ष महीने में पड़ने वाली अमावस्या इसे अगहन अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु का पूजन का विधान है. साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है. इस बार तिथि को लेकर असमंजस लोगों के बीच बना हुआ है. आइए उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते हैं सही तिथि और शुभ मुहूर्त.
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार तिथि की शुरुआत 19 नवंबर, बुधवार को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर शुरु होगी. यह तिथि 20 नवंबर, गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी. ज्योतिष के नियम उदयातिथि को प्रमुख मानते हैं. 20 नवंबर को सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि रहेगी. इसलिए मार्गशीर्ष अमावस्या की 20 नवंबर को मनाई जाएगी.
स्नान का यह मुहूर्त सबसे श्रेष्ठ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान के लिए सबसे शुभ ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में डुबकी लगाने से अधिक और विशेष पुण्य प्राप्त होता है. इसलिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. स्नान करने के बाद दान-पुण्य करना चाहिए
भूल से भी न करें ये कार्य
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अमावस्या के दिन भूलकर भी किसी व्यक्ति को बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए. ऐसा करने से आपके पितृ नाराज हो सकते हैं और आपको पितृ दोष लग सकता है. इसके अलावा अमावस्या के दिन बाल धोना भी वर्जित माना गया है. मान्यता है कि इस दिन बाल धोने से मनुष्य को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं.
जरूर करें यह कार्य पितृ होंगे प्रसन्न
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य देना चाहिए. इस शुभ दिन पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान के कार्यों से साधक को सभी दुख-कष्ट और पापों से मुक्ति मिलती है. अमावस्या के दिन पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य किए जाते हैं. मान्यता है कि इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार के सदस्यों पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है.
Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 7 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें
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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
