Matangeshwar Mahadev Temple. छतरपुर जिले के खजुराहो में स्थित विश्व धरोहर स्थल मतंगेश्वर मंदिर के 18 फीट के शिवलिंग का रहस्य आज भी बना हुआ है. सालों से लोग बताते आए हैं कि बढ़ते हुए शिवलिंग में कील गाड़ दी गई थी, जिससे शिवलिंग की लंबाई बढ़ना बंद हो गई थी, लेकिन इस रहस्य के पीछे क्या है सच, जानिए इस मंदिर में पीढ़ियों से पूजा करते आए पुजारी जी से…
मतंगेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी बाबूलाल गौतम Bharat.one से बातचीत में बताते हैं कि यह शिवलिंग बहुत पुराना है. लेख में बताते हैं कि यह जितना ऊपर है उतना ही नीचे है. यह शिवलिंग 9 फीट ऊपर है और 9 फीट नीचे है. यह शिवलिंग कुल 18 फीट का है. यह मंदिर सबसे पहले बना था. इस मंदिर का निर्माण 8-9वीं शताब्दी में बना था और बाकी कलाकृति वाले जो मंदिर है वह 10-11वीं शताब्दी के बने हैं.
शिवलिंग में गड़ी कील का ये है रहस्य
पुजारी बताते हैं कि यह शिवलिंग हर वर्ष 1 चावल दाने के बराबर बढ़ता है. बढ़ते बढ़ते यह शिवलिंग 18 फीट का हो गया है. उस समय हर वर्ष शरद पूर्णिमा पर शिवलिंग नापा जाता था. इसकी बढ़ती लंबाई को देखते हुए शिवलिंग पर मंत्रों द्वारा कील स्पर्श कराई गई थी. जिससे शिवलिंग की बढ़ती लंबाई की तेज गति को स्थिर कर दिया गया था. हांलाकि, आज भी मान्यता है कि शिवलिंग की लंबाई हर वर्ष बढ़ती है. शिवलिंग के इस इतिहास को लोग अपने अनुसार बताते हैं. पढ़े -लिखे लोग भली भांति जानते हैं कि सभी पत्थर बढ़ते हैं. स्वाभाविक सी बात है, जब पत्थर में कील गाड़ दी जाएगी तो पत्थर अलग हो जाता है या उस पर दरार आ जाती है. अगर ऐसा कुछ होता तो शिवलिंग में लाइनें आ जातीं.
चंदेलकालीन से होती आई है पूजा
पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर में पूजा-अर्चना चंदेल राजाओं के जमाने से होती आई है. यहां आज भी सुबह-शाम आरती होती है.
मनोकामना होती है पूरी
पुजारी बताते हैं कि शिवलिंग को हांथ से स्पर्श करने पर यहां श्रद्वालुओं की मनोकामना पूरी हो जाती है. हांथ से स्पर्श करने पर श्रद्धालुओं को एहसास होता है कि उनकी मनोकामना पूरी होती है.
शिवलिंग के पीछे की कहानी
भगवान शिव के पास मार्कंड मणि थी जो उन्होंने युधिष्ठिर को दी थी. उन्होंने इसे मतंग ऋषि को दे दिया था, जिन्होंने फिर हर्षवर्धन को दिया था. माना जाता है कि उसने उसे जमीन में गाड़ दिया, क्योंकि उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था और मणि के चारों ओर अपने आप एक शिवलिंग विकसित होने लगा. मणि मतंग ऋषि के पास होने के कारण इसका नाम मतंगेश्वर नाम पड़ा.
विश्व धरोहर में शामिल है यह मंदिर
पुजारी बताते हैं कि नए साल में लाखों श्रद्धालु यहां भक्ति करने के लिए आते हैं. हालांकि, हर दिन ही हजारों श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. बता दें, मतंगेश्वर महादेव को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में स्थान दिया है. इतिहास में यहां 85 मंदिरों के मौजूद होने का प्रमाण हैं लेकिन आज सिर्फ 25 मंदिर ही बचे हैं.
FIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 07:11 IST