Monday, December 22, 2025
24 C
Surat
[tds_menu_login inline="yes" guest_tdicon="td-icon-profile" logout_tdicon="td-icon-log-out" tdc_css="eyJhbGwiOnsibWFyZ2luLXJpZ2h0IjoiNiIsIm1hcmdpbi1ib3R0b20iOiIwIiwibWFyZ2luLWxlZnQiOiIyNSIsImRpc3BsYXkiOiIifSwicG9ydHJhaXQiOnsibWFyZ2luLXJpZ2h0IjoiMiIsIm1hcmdpbi1sZWZ0IjoiMTYiLCJkaXNwbGF5IjoiIn0sInBvcnRyYWl0X21heF93aWR0aCI6MTAxOCwicG9ydHJhaXRfbWluX3dpZHRoIjo3NjgsImxhbmRzY2FwZSI6eyJtYXJnaW4tcmlnaHQiOiI1IiwibWFyZ2luLWxlZnQiOiIyMCIsImRpc3BsYXkiOiIifSwibGFuZHNjYXBlX21heF93aWR0aCI6MTE0MCwibGFuZHNjYXBlX21pbl93aWR0aCI6MTAxOX0=" icon_color="#ffffff" icon_color_h="var(--dark-border)" toggle_txt_color="#ffffff" toggle_txt_color_h="var(--dark-border)" f_toggle_font_family="global-font-2_global" f_toggle_font_transform="uppercase" f_toggle_font_weight="500" f_toggle_font_size="13" f_toggle_font_line_height="1.2" f_toggle_font_spacing="0.2" ia_space="0" menu_offset_top="eyJhbGwiOiIxNCIsInBvcnRyYWl0IjoiMTIiLCJsYW5kc2NhcGUiOiIxMyJ9" menu_shadow_shadow_size="16" menu_shadow_shadow_color="rgba(10,0,0,0.16)" f_uh_font_family="global-font-1_global" f_links_font_family="global-font-1_global" f_uf_font_family="global-font-1_global" f_gh_font_family="global-font-1_global" f_btn1_font_family="global-font-1_global" f_btn2_font_family="global-font-1_global" menu_uh_color="var(--base-color-1)" menu_uh_border_color="var(--dark-border)" menu_ul_link_color="var(--base-color-1)" menu_ul_link_color_h="var(--accent-color-1)" menu_ul_sep_color="#ffffff" menu_uf_txt_color="var(--base-color-1)" menu_uf_txt_color_h="var(--accent-color-1)" menu_uf_border_color="var(--dark-border)" show_version="" icon_size="eyJhbGwiOjIwLCJwb3J0cmFpdCI6IjE4In0=" menu_gh_color="var(--base-color-1)" menu_gh_border_color="var(--dark-border)" menu_gc_btn1_color="#ffffff" menu_gc_btn1_color_h="#ffffff" menu_gc_btn1_bg_color="var(--accent-color-1)" menu_gc_btn1_bg_color_h="var(--accent-color-2)" menu_gc_btn2_color="var(--accent-color-1)" menu_gc_btn2_color_h="var(--accent-color-2)" f_btn2_font_size="13" f_btn1_font_size="13" toggle_hide="yes" toggle_horiz_align="content-horiz-center" menu_horiz_align="content-horiz-center" f_uh_font_weight="eyJsYW5kc2NhcGUiOiI3MDAiLCJhbGwiOiI3MDAifQ==" f_gh_font_weight="700" show_menu="yes" avatar_size="eyJhbGwiOiIyMiIsImxhbmRzY2FwZSI6IjIxIiwicG9ydHJhaXQiOiIxOSJ9" page_0_title="My Articles" menu_ul_sep_space="0" page_0_url="#"]

Finance

Marketing

Politics

Strategy

Finance

Marketing

Politics

Strategy

Nataraja Idol। भगवान शिव का नटराज रूप


Last Updated:

Cosmic Dance : नटराज की मूर्ति में दबा अपस्मरा अज्ञान, भ्रम और घमंड का प्रतीक है. भगवान शिव का नृत्य इस नकारात्मकता को नियंत्रित कर दुनिया में संतुलन बनाए रखने का संकेत देता है. नटराज की मूर्ति लगाते समय उसके पीछे छिपे इस संदेश को समझना ही उसका असली अर्थ है.

नटराज की मूर्ति

Cosmic Dance : भारतीय परंपरा में भगवान शिव के अनेक रूप बताए गए हैं, जिनमें नटराज का रूप विशेष स्थान रखता है. नटराज का अर्थ है नृत्य के स्वामी. इस रूप में भगवान शिव ब्रह्मांडीय नृत्य करते हुए दिखाए जाते हैं. अधिकतर लोग नटराज की मूर्ति को केवल सुंदर कला या आध्यात्मिक प्रतीक मानते हैं, लेकिन इस मूर्ति में छिपे हर भाव और हर आकृति का अपना गहरा संदेश है. खासकर भगवान शिव के पैरों के नीचे दबा हुआ एक छोटा सा जीव, जिस पर अक्सर लोगों का ध्यान नहीं जाता. यही जीव नटराज की मूर्ति का सबसे महत्वपूर्ण संकेत माना जाता है. नटराज की प्रतिमा में भगवान एक पैर से जमीन पर खड़े होते हैं और दूसरा पैर ऊपर उठा होता है. नीचे जिस जीव को दबाया गया है, उसका नाम अपस्मरा है. दक्षिण भारत में इसी जीव को मुयालका भी कहा जाता है. यह जीव आकार में छोटा है, मगर इसके चेहरे के भाव डर पैदा करने वाले होते हैं. यह कोई साधारण बौना जीव नहीं है, बल्कि इसका जन्म ही नकारात्मक भावों से माना गया है. इसलिए नटराज की मूर्ति केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि जीवन को समझने का संकेत भी देती है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

अपस्मरा का जन्म और उसका प्रभाव
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार कुछ ऋषियों ने हवन किया. उस हवन से अलग-अलग प्रकार के जीव निकलने लगे. पहले सांप निकले, फिर दैत्य और अंत में एक छोटे कद का जीव बाहर आया. यही जीव आगे चलकर अपस्मरा कहलाया. इसका जन्म उलझन, भ्रम और अहंकार से हुआ माना जाता है. अपस्मरा का काम दुनिया में घूम-घूमकर लोगों के मन में घमंड और गलत धारणाएं पैदा करना था.

कहा जाता है कि अपस्मरा के प्रभाव से समझदार लोग भी अपनी सूझ-बूझ खो बैठते थे. ज्ञान होते हुए भी वे सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते थे. इस जीव ने साधु-सन्यासियों को भी परेशान किया. जब स्थिति बिगड़ने लगी, तब भगवान शिव ने नटराज रूप में अपस्मरा के ऊपर नृत्य करना शुरू किया. यह नृत्य केवल नृत्य नहीं था, बल्कि अज्ञान को दबाने की क्रिया थी. भगवान ने अपस्मरा को अपने पैरों तले दबाकर कभी उठने नहीं दिया.

नटराज की मूर्ति का संदेश
नटराज की मूर्ति में अपस्मरा को दबाए रखना यह बताता है कि अज्ञान, घमंड और भ्रम को हमेशा नियंत्रण में रखना चाहिए. भगवान शिव का नृत्य दुनिया में सुख, शांति और समझ को स्थापित करने का प्रतीक माना जाता है. यह संदेश साफ है कि जब तक अज्ञान को नीचे नहीं रखा जाएगा, तब तक जीवन में संतुलन नहीं आ सकता.

इसलिए जब लोग अपने घर या कार्यस्थल में नटराज की मूर्ति लगाते हैं, तो केवल सजावट के रूप में नहीं देखनी चाहिए. उस मूर्ति से मिलने वाले संकेत को भी समझना जरूरी है. नटराज यह बताते हैं कि ज्ञान और समझ तभी आगे बढ़ते हैं, जब अहंकार और भ्रम को अपने पैरों के नीचे रखा जाए.

सेहत, रिलेशनशिप, लाइफ या धर्म-ज्योतिष से जुड़ी है कोई निजी उलझन तो हमें करें WhatsApp, आपका नाम गोपनीय रखकर देंगे जानकारी.

About the Author

Keerti Rajpoot

मीडिया की दुनिया में मेरा सफर एक रेडियो जॉकी के रूप में शुरू हुआ था, जहां शब्दों की ताकत से श्रोताओं के दिलों तक पहुंच बनाना मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि रही. माइक के पीछे की यह जादुई दुनिया ही थी जिसने मुझे इलेक्ट्र…और पढ़ें

homedharm

नटराज रूप का सच नहीं जानते होंगे! कौन है भगवान शिव के पैरों के नीचे दबा जीव?

Topics

1 सूजी के आटे से बनायें 3 नाश्ता

यहां 3 नाश्ते की रेसिपी हैं जिन्हें आप...

Rice Flour Appe Recipe। चावल के आटे के अप्पे

Last Updated:December 22, 2025, 19:35 ISTRice Flour Appe...
Exit mobile version