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Navratri 2025 : नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री को समर्पित है. इस दिन देवी को उनकी मनपसंद चीज चढ़ाने से मनचाहा वर मिलता है. ऐसे ही अलग-अलग दिन अलग-अलग चीजें चढ़ाने का विधान है.

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी को अर्पण करें विशेष सामग्री
हाइलाइट्स
- पहले दिन हल्दी, उरद दाल और लाल गुड़हल चढ़ाएं.
- दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी को शक्कर, शहद, चूड़ी, गुलाल अर्पित करें.
- तीसरे दिन चंद्रघंटा को लाल वस्त्र, खीर और काजल चढ़ाएं.
वाराणसी. शक्ति उपासना के महापर्व नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. नवरात्रि में अलग-अलग दिन देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. शास्त्रों में अलग-अलग देवी को अलग-अलग चीजें चढ़ाने का विधान है. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से देवी न सिर्फ प्रसन्न होती हैं बल्कि वो हर मनोकामनाएं भी पूरा करती हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय कहते हैं कि नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री को समर्पित होता है. इस दिन देवी को हल्दी, उरद का दाल और लाल गुड़हल की माला चढ़ानी चाहिए. इससे मनचाहा वर मिलता है.
सभी संकटों का नाश
पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार, नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के पूजन का विधान है. माता ब्रह्मचारिणी को शक्कर, शहद, चूड़ी और गुलाल अर्पित करना चाहिए. इससे तेज बढ़ता है. तीसरे दिन चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा होती है. इस दिन देवी को लाल वस्त्र, खीर और काजल अर्पित करना चाहिए. इससे समस्त संकट दूर होते है.
मिलेगा सौभाग्य
चौथे दिन कुष्मांडा देवी के दर्शन की मान्यता है. इस दिन देवी को फल, सिंदूर, दही और मेवा अर्पित करना चाहिए. इससे सभी दुःखों का नाश होता है. पांचवे दिन स्कंदमाता को कमलपुष्प और बिंदी चढ़ानी चाहिए. इससे सौभाग्य और पुत्र की प्राप्ति होती है. छठे दिन कात्यायनी देवी को चुनरी और दूर्वा घास चढ़ाना चाहिए. इससे विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती है.
दूर होंगे हर संकट
नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि को बताशा, इत्र और फल पुष्प अर्पित करना चाहिए. इससे सभी बाधाएं दूर होती हैं. आठवें दिन महागौरी को सफेद फूल, मिठाई और चंदन चढ़ाना चाहिए. इससे धन और ऐश्वर्य मिलता है. अंतिम दिन देवी को सुहाग की सामग्री, अक्षत, बताशा और फल अर्पित करना चाहिए. इससे सभी दुःख और संकट दूर होते हैं.