बागपत. बागपत के बड़ागांव में स्थित मां मंशा देवी मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा है. इस मंदिर में लोग देश के कोने कोने से आकर पूजा अर्चना करते हैं. यहा मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी होती है. इस मंदिर में मैं नवरात्रों में विशेष पूजा पाठ का आयोजन होता है और यहां धागा बांधने की भी मान्यता है. यहां पेड़ से धागा बांधने पर हर मुराद पूरी होती है. यह भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है.
बागपत के जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर बागपत उर्फ बड़ा गांव स्थित है. यहां मनसा देवी मंदिर है, जिसका इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है. मंदिर के मुख्य पुजारी राजपाल त्यागी ने बताया कि त्रेता युग में रावण माता रानी की पूजा पाठ करके हिमालय पर्वत से शक्ति के रूप में माता को लेकर लंका के लिए निकला था. रावण को वचन था कि जहां भी वह शक्ति के रूप में माता को जमीन पर रखेगा, वहीं पर मंदिर की स्थापना होगी. जब वह बड़ागांव में पहुंचा तो ग्वाला के रूप में भगवान विष्णु रावण को मिले. रावण ने लघु शंका करने के लिए माता की मूर्ति को भगवान विष्णु को दे दिया. भगवान विष्णु ने उस मूर्ति को जमीन पर रख दिया. जब रावण वापस लौट कर आया, तो उसने देखा कि मूर्ति जमीन पर रखी है. फिर तभी से इस मंदिर की स्थापना हुई और तभी से इसकी लगातार मान्यता बढ़ती जा गयी.
वहीं भगवान विष्णु का भी इस मंदिर में विशेष स्थान है. यहां लोग देश के कोने-कोने से आकर पूजा अर्चना करते हैं और यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. यहां पेड़ पर धागा बांधने से हर मन्नत पूरी होती है. यहां देश के कोने-कोने से लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं और नवरात्रों में 9 दिन यहां विशेष पूजा पाठ का आयोजन होता है और यहां पर नवरात्रि में नवमी को विशाल भंडारे और जागरण का आयोजन होता है, जिसमें देश दुनिया के लोग आकर माता रानी की पूजा अर्चना करते हैं.
FIRST PUBLISHED : October 6, 2024, 14:41 IST
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