अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी: शारदीय नवरात्रि में देवी मंदिरों में भक्तों का रेला लगा है.नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा होती है. स्कंदमाता शेर के सिंघासन पर अपने पुत्र के साथ विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देती है. धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के पांचवें दिन देवी के इस स्वरूप के दर्शन से संतान सम्बंधित सभी तरह की परेशानियां दूर होती है. नवरात्रि में आप स्कंदमाता को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं? उनकी पूजा कैसे करनी चाहिए? पूजा के दौरान किन मंत्रों का जाप करना चाहिए?आइये जानते हैं काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य से इन सवालों के जवाब….
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि भगवान स्कंद ‘कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं. पुराणों में इन्हें शक्ति कहकर भी बुलाया गया है. भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है और नवरात्रि के पांचवें दिन इनकी पूजा की जाती है.
ऐसा है देवी का स्वरूप
पुराणों के अनुसार,स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. इनकी दो भुजाओं में कमल पुष्प और एक भुजा में वरमुद्रा है और इनके गोद में भगवान शिव के पुत्र कुमार कार्तिकेय विराजमान हैं. इनकी सवारी सिंह है और देवी का यह स्वरूप अद्भुत है.
विवाहित महिलाओं को होती है संतान सुख की प्राप्ति
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इनकी पूजा से जिन विवाहित महिलाओं को संतान नहीं होती उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है. इसके अलावा जो लोग इनकी पूजा करते हैं, उनके पुत्र दीर्घायु होते हैं और स्कंदमाता सदैव उनकी रक्षा करती है.
खीर का लगाएं भोग,चढ़ाएं कमल के फूल
स्कंदमाता का अस्त कमल है. इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हें कमल पुष्प जरूर अर्पण करना चाहिए. कमल पुष्प के बगैर इनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. इसके अलावा देवी को भोग स्वरूप खीर अवश्य चढ़ाना चाहिए. इससे देवी अतिशीघ्र ही प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनचाही मुरादें पूरी करती हैं.
इस मंत्र का करें जाप
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि देवी के पूजा के दौरान ‘या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।’ इस मंत्र का जप निरंतर करते रहना चाहिए. इससे देवी की कृपा सदैव भक्तों पर बनी रहती है.
FIRST PUBLISHED : October 7, 2024, 08:17 IST
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