सोनभद्र: सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज नगर के मुख्य चौराहे पर स्थित शक्तिपीठ मां शीतला धाम भक्तों के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है. यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मन्नतें पूरी होने की मान्यता है. यह धाम लगभग 100 वर्षों से श्रद्धालुओं की श्रद्धा और विश्वास का केंद्र बना हुआ है.
सोनभद्र का मां शीतला का धाम
सन 1846 में जब मिर्जापुर जनपद के अंग्रेज उप जिला अधिकारी डब्ल्यूबी रॉबर्ट्स ने रॉबर्ट्सगंज नगर की स्थापना की, तब अदालगंज निवासी जगन्नाथ साहू को नगर का प्रथम नागरिक बनाया गया. इसके बाद इस नगर में विभिन्न व्यापारिक समुदायों का आगमन हुआ, जिनमें अदलगंज, अहरौरा, मड़िहान, मिर्जापुर, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के वैश्य व्यापारी प्रमुख थे. इन व्यापारियों में से एक लाला राम देव ने अपनी भूमि पर स्थित नीम के पेड़ के नीचे मां शीतला की मूर्ति स्थापित कराई, जिसके बाद से यह देवी लोक देवी और कुलदेवी के रूप में पूजनीय हो गईं.
ऐसे तैयार हुआ भव्य मंदिर
इसके बाद लाला राम देव के सुपुत्र भोला सेठ के चेयरमैन बने. इस दौरान स्थानीय नागरिकों के सहयोग से सन 1971 में मंदिर का निर्माण शुरू हुआ. सत्यनारायण, शंभू सेठ, श्याम सुंदर सेठ, शिव शंकर प्रसाद केसरी सहित नगर वासियों के सहयोग से यह भव्य मंदिर तैयार हुआ.
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आदिवासियों के लिए भी आस्था का केंद्र
अब शक्तिपीठ मां शीतला धाम पूरे देश भर में प्रसिद्ध हो चुका है. यहां दूर-दूर से भक्तजन दर्शन, पूजन और अर्चना के लिए आते हैं. खासकर, सोनभद्र जनपद में निवास करने वाली आदिवासी जातियों के लोगों के लिए यह मंदिर आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र है.
अष्टमी के दिन होता है विशेष आयोजन
अष्टमी के दिन यहां आदिवासी श्रद्धालुओं द्वारा विशेष रूप से मां शीतला की पूजा की जाती है. आदिवासी अपने परंपरागत नृत्य का भी आयोजन करते हैं, जिससे मंदिर में उत्सव का माहौल बना रहता है. इस विशेष दिन पर मां शीतला धाम में भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं.
FIRST PUBLISHED : October 9, 2024, 14:09 IST
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