लखीमपुर खीरी: नवरात्रि के दौरान माता रानी के भक्त देशभर के अलग-अलग मंदिरों में जाकर मां की आराधना करते हैं. माता रानी के कई ऐसे मंदिर हैं जिनका बहुत धार्मिक महत्व है. लखीमपुर शहर में स्थित मां संकटा देवी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आस्था का केंद्र है. नवरात्र के दौरान, भक्तों की भारी भीड़ माता के दर्शन के लिए उमड़ती है. शहरवासी हर खुशी के अवसर पर मां के दरबार में जाकर आशीर्वाद लेते हैं.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
यह महाभारतकालीन मंदिर न केवल जिले के लोगों के लिए, बल्कि आस-पास के जनपदवासियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. पुराणों के अनुसार, मां संकटा देवी की मूर्ति को भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में लक्ष्मीवन (वर्तमान लखीमपुर) में स्थापित किया था. बाद में, जंगल में खुदाई के दौरान देवी मां की मूर्ति मिलने पर महेवा स्टेट के राजा ने इस मंदिर का निर्माण कराया. वर्तमान में, मंदिर की देखरेख महेवा स्टेट के राजपरिवार द्वारा की जाती है.
नवरात्र में दुर्गा पूजा का उत्सव
हर साल नवरात्रों के दौरान, माता दुर्गा की पूजा को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. इस अवसर पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है और देवी जागरण का आयोजन होता है. भक्त दूर-दूर से मां के दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामनाएँ मांगते हैं. मान्यता है कि जिन भक्तों की इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं, वे मां के दरबार में मुंडन संस्कार और हवन करते हैं. लखीमपुर शहर में मां संकटा देवी मंदिर इस समय आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, जहाँ सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालु पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
1 हजार साल पुरानी प्रतिमा
मां संकटा देवी की प्रतिमा लगभग एक हजार साल पुरानी है और यह लखीमपुर के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है. इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के बाद रुक्मणी की इच्छा पर की थी, जब वे पशुपतिनाथ की यात्रा पर जा रहे थे.
FIRST PUBLISHED : October 5, 2024, 17:12 IST