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Khandwa News: एक भक्त ने मुश्किल समय में यहां माता से मनोकामना मांगी और मां ने उसे संकट से उबारा था. तभी से इस स्थान को सिद्धपीठ के रूप में मान्यता मिलती गई. ऐसा विश्वास है कि यहां आने वाला कोई भी श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता है.
यह मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था से जुड़ा हुआ है. भक्तों का विश्वास है कि मां नवचंडी के दरबार में सच्चे मन से जो भी प्रार्थना की जाती है, उसका फल अवश्य मिलता है. जब किसी भक्त की इच्छा पूरी हो जाती है, तो वह यहां विशेष पूजा-अर्चना करके मां को धन्यवाद अर्पित करता है. कुछ लोग माता के दरबार में ध्वजा या चुनरी चढ़ाकर आभार व्यक्त करते हैं. माना जाता है कि यदि किसी की मनोकामना पूर्ण हो जाती है, तो उसे किसी न किसी रूप में संकेत अवश्य मिलता है, जैसे- जीवन में अचानक सुख-समृद्धि आना या किसी लंबे समय से रुके कार्य का पूर्ण होना.
नवरात्रि और मेले का महत्व
नवरात्रि के दिनों में यहां विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है. 9 दिनों तक माता की विशेष पूजा, हवन और भजन-संकीर्तन होते हैं. भक्तजन सुबह से देर रात तक दर्शन के लिए उमड़ते हैं. मंदिर परिसर दीपों से जगमगाता है और वातावरण में भक्ति की गूंज सुनाई देती है. इसके अलावा यहां हर साल एक विशाल मेला भी आयोजित होता है, जो बसंत पंचमी से लेकर माघ पूर्णिमा तक चलता है. इस मेले में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, झूले, मेले की दुकानें और रात्रि जागरण भी आयोजित होते हैं. हजारों श्रद्धालु इस अवसर पर यहां पहुंचते हैं और पूरे क्षेत्र का वातावरण मां के जयकारों से गूंजता है.
नवचंडी देवी मंदिर के साथ-साथ परिसर में अन्य देवी-देवताओं के भी छोटे मंदिर बने हुए हैं. यहां शिवजी, काली माता और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं. नवरात्रि के दौरान पूरा परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहता है. मंदिर के चारों ओर का खुला मैदान बड़े आयोजनों और मेले के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है.
मंदिर की कहानियां और लोकश्रुतियां
स्थानीय लोगों के बीच कई कहानियां प्रचलित हैं. कहा जाता है कि किसी भक्त ने कठिन समय में यहां माता से मनोकामना मांगी और मां ने उसे संकट से उबारा. तभी से इस स्थान को सिद्धपीठ के रूप में मान्यता मिलती गई. ऐसी भी मान्यता है कि यहां आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता.
आस्था और विश्वास का प्रतीक
खंडवा का नवचंडी देवीधाम केवल एक मंदिर नहीं बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है. यह वह स्थान है जहां भक्त अपने दुख-दर्द लेकर आते हैं और मां की कृपा से हल्का महसूस करते हैं. खासकर नवरात्रि के दिनों में यहां आने का अनुभव भक्तों के लिए अविस्मरणीय होता है. श्रद्धालु कहते हैं कि मां के दरबार से उन्हें न सिर्फ आत्मिक शांति मिलती है बल्कि जीवन की कठिनाइयां भी दूर होती हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.