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अयोध्या: सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है—शारदीय नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि. नवरात्रि में माता की सवारी और उनके आगमन का विशेष महत्व होता है. तो चलिए जानते हैं, इस बार माता रानी किस पर सवार होकर आ रही हैं.

नवरात्रि का इंतजार सनातन धर्म को मानने वाले लोगों को बेसब्री से रहता है. नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा और आराधना भक्ति भाव से की जाती है, और उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है. इस व्रत के पुण्य प्रताप से जीवन में खुशियों का आगमन होता है.

अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि इस बार नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर को समाप्त होगी. माता किस पर सवार होती हैं, यह दिन के हिसाब से तय किया जाता है.

इस बार नवरात्रि में माता रानी हाथी पर सवार होकर आएंगी. यदि नवरात्रि रविवार और सोमवार को शुरू होती है, तो ऐसी स्थिति में माता की सवारी गज होती है, जिसे बेहद शुभ माना जाता है. इसका मानव जीवन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

दूसरी तरफ, माता दुर्गा का प्रस्थान भी देवी पुराण के अनुसार गुरुवार के दिन होगा. इस दिन भक्तों के कंधों पर सवार होकर मां दुर्गा का प्रस्थान माना जाता है, जिसे बेहद उत्तम माना जाता है. यह संकेत जीवन में सुख और सौभाग्य में वृद्धि करने वाला है. मां दुर्गा की विशेष कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होंगी और सुख-शांति बनी रहेगी.

इस बार शारदीय नवरात्रि पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 22 सितंबर को सुबह 5:34 से लेकर 7:29 तक रहेगा. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:14 से लेकर दोपहर 12:02 तक रहेगा. इस योग में घट स्थापना करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होगी.

नवरात्रि के नौ दिनों तक माता रानी की विधि-विधानपूर्वक पूजा और आराधना की जाती है. ऐसा करने से सभी प्रकार के दुख और संकट दूर होते हैं. देवी की प्रसन्नता के लिए कई तरह के उपाय भी किए जाते हैं. इस बार के नवरात्रि 10 दिनों तक है.