मां दुर्गा के 9 स्वरूप और 9 रंग
मां शैलपुत्री- प्रतिपदा को नौ दुर्गे के प्रथम रूप देवी शैलपुत्री का पूजन होता है. देवी पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, जो स्थिरता, शक्ति और नए आरंभ की प्रतीक हैं. शायद इसलिए पीले रंग से शुरुआत होती है, ऐसा रंग जिससे जीवन में उत्साह, ऊर्जा और सकारात्मक सोच का संचार होता है, ठीक वैसे जैसे सूरज की पहली किरण होती है.
मां चंद्रघंटा – तृतीया को मां चंद्रघंटा की आराधना होती है. उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है और इसलिए उनको ये नाम मिला है. उनके दस हाथ हैं जिनमें शस्त्र होते हैं और उनका वाहन सिंह है. मां शांति, स्थिरता और जमीन से जुड़ी हैं, इसलिए ग्रे या स्लेटी रंग, जो संतुलन का माना जाता है, भक्तगण पहनने की कोशिश करते हैं. यह रंग संतुलन के साथ ही सौम्यता का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो मां चंद्रघंटा के गुणों से मेल खाता है, जहां शक्ति भी है और शांति भी.
मां स्कंदमाता – नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है. ममता निश्चल होती है, इसलिए इस दिन श्वेत रंग को तरजीह दी जाती है. ये रंग ममता और पवित्रता का है. देवी स्कंदमाता को ममता और करुणा की देवी माना जाता है. और सफेद रंग शांति, सरलता और निर्मलता का प्रतीक है.
मां कालरात्रि – सप्तमी को कालरात्रि का स्मरण और ध्यान किया जाता है. वह भयंकर अंधकार और भय का विनाश करने वाली देवी हैं, इसलिए उनके इन गुणों को परिलक्षित करता है नीला रंग, ऐसा रंग जो रहस्य के साथ सुरक्षा का भी पर्याय है. गहरा नीला रंग सुरक्षा, गहराई, और आंतरिक शक्ति को दर्शाता है.
मां सिद्धिदात्री – नवमी, सिद्धि दायिनी, मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. जैसा कि नाम से विदित होता है, मां का संबंध सिद्धि से है और सिद्धि ज्ञान से ही अर्जित की जा सकती है. मां का ये गुण बैंगनी रंग से मेल खाता है. बैंगनी रंग आध्यात्मिकता, वैभव और ज्ञान का प्रतीक है.
हर रंग के परिधान सिर्फ पहनने की चीज नहीं होते, बल्कि वो एक भाव, एक सोच और मां का आशीर्वाद है. जब हम देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर रंग पहनते हैं, तो सिर्फ तन नहीं, मन भी सजता है. इस बार शारदीय नवरात्रि में आप भी ये करके देखिए.