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Sandhi Puja 2025: आज शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महागौरी की पूजा अर्चना की जाएगी. साथ ही आज दुर्गाष्टमी और संधि पूजा का भी विशेष महत्व है. संधि काल में पूजा करना अत्यंत शुभ और दुर्लभ पुण्यदायी माना जाता है. इस समय दीपक, नौ लड्डू, नौ पुष्प, और 108 बार देवी मंत्र जप विशेष फल देता है. आइए जानते हैं संधि पूजा का महत्व, पूजा विधि…
Navratri 2025 Durga Ashtami Sandhi Puja: आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि दिन मंगलवार है. दुर्गा अष्टमी और संधि पूजा दोनों का नवरात्रि में अत्यंत विशेष महत्व बताया गया है. दुर्गा अष्टमी शक्ति की उपासना का प्रमुख दिन है, जिसमें महागौरी की पूजा होती है. संधि पूजा अष्टमी-नवमी संधिकाल में होती है और यह सबसे प्रभावशाली साधना मानी जाती है. संधिकाल में ही देवी चामुंडा ने महिषासुर और चंड-मुंड का वध किया था इसीलिए इस पूजा को महिषासुर मर्दिनी पूजा भी कहा जाता है. इन दोनों की आराधना से भक्त को अकंटक मार्ग, समृद्धि और अद्भुत आंतरिक शक्ति मिलती है. आइए जानते हैं दुर्गाष्टमी के दिन बन रहे शुभ योग, पूजा विधि और महत्व के बारे में…
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर के 3 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर 4 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. इस तिथि को सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा धनु राशि में रहेंगे. साथ ही दुर्गाष्टमी पर शोभन योग और बुधादित्य योग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है.

महाष्टमी पर मां दुर्गा की आराधना
महाष्टमी के दिन मां दुर्गा की आराधना का आरंभ महास्नान और षोडशोपचार पूजा से किया जाता है. यह पूजा महासप्तमी के समान ही होती है, लेकिन प्राण-प्रतिष्ठा केवल महासप्तमी को होती है. महाष्टमी पर नौ छोटे कलशों में मां दुर्गा के नौ शक्ति स्वरूपों का आह्वान किया जाता है. इन नौ रूपों की पूजा-अर्चना कर भक्त माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इसके अलावा, इस दिन कुंवारी कन्या पूजन का विशेष महत्व है. इस दिन अविवाहित कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है. कुंवारी पूजा नवरात्रि उत्सव का अभिन्न हिस्सा है और महाष्टमी को इसे विशेष रूप से एक दिवसीय पूजा के रूप में मनाया जाता है.

दुर्गाष्टमी 2025 पूजा विधि
इस दिन माता की आराधना करने के लिए घर के मंदिर में गाय के गोबर के उपले पर पान, लौंग, कपूर, इलायची, गूगल और कुछ मीठा डालकर धुनी देना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से माता सभी कष्टों का निवारण करती हैं. साथ ही मां भवानी के मंदिर में पान का बीड़ा (पान के पत्ते पर मसाला) चढ़ाएं, जिसमें कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बूरा और लौंग का जोड़ा हो, लेकिन सुपारी और चूना न डालें.
संधि पूजा का महत्व
नवरात्रि उत्सव के दौरान संधि पूजा का विशेष महत्व है. अष्टमी और नवमी के संधिकाल (जब अष्टमी समाप्त होकर नवमी आरंभ होती है – लगभग 48 मिनट का समय) को संधि काल कहते हैं. मान्यताओं के अनुसार, इसी समय देवी चामुंडा चण्ड और मुण्ड नामक राक्षसों का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं. 48 मिनट तक चलने वाली संधि पूजा का मुहूर्त दिन में किसी भी समय पड़ सकता है. यह पूजा केवल इसी निर्धारित समय पर संपन्न की जाती है और इसका अपना विशेष महत्व है. महाष्टमी और संधि पूजा का यह पावन दिन भक्तों के लिए मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने का सुनहरा अवसर है. इन उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें