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Navratri Day 4, Maa Kushmanda: कल मां कुष्मांडा की पूजा में अवश्य दें इस चीज की बलि, धन-संपदा व ज्ञान के लिए जरूर करें ये उपाय


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Chaitra Navratri 2025 Day 4: चैत्र नवरात्रि में इस बार 9 नहीं बल्कि 8 दिन की पूजा अर्चना की जाएगी और चौथे दिन मां दुर्गा की चौथी शक्ति मां कुष्मांडा का पूजा अर्चना की जाएगी. माता की पूजा अर्चना से सभी तरह को दु…और पढ़ें

कल मां कुष्मांडा की पूजा में अवश्य दें इस चीज की बलि, जरूर करें ये उपाय

मां कुष्मांडा की पूजा में अवश्य दें इस चीज की बलि

हाइलाइट्स

  • मां कुष्मांडा की पूजा से सभी कष्ट दूर होते हैं.
  • मां को कुम्हड़े की बलि अर्पित करें.
  • मालपुए का नैवेद्य अर्पित करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.

नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा देवी का पूजा अर्चना की जाती है. माता कुष्मांडा को दैदीप्यमान भी कहा जाता है और यह हजारों सूर्य को अपने नियंत्रण में भी रखती हैं. मां कुष्मांडा सभी प्रकार के रोग व कष्ट को दूर करती हैं और धर्म की स्थापना भी करती हैं. माता की पूजा अर्चना करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है और आयु, बुद्धि और यश में वृद्धि होती है. साथ ही माता सभी तरह के दुखों का अंत करती हैं और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. आइए जानते हैं माता कुष्मांडा को किस चीज की बलि बेहद पसंद हैं और धन संपदा व ज्ञान में वृद्धि के लिए कौन से उपाय करने चाहिए….

पूरे ब्रह्मांड का पालन-पोषण करती हैं मां
माँ कुष्मांडा देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं और मां अपनी दिव्य और कोमल मुस्कान के साथ पूरे ब्रह्मांड का पालन-पोषण करती हैं, जिससे उन्हें ‘कुष्मांडा’ नाम मिला है. कुष्मांडा शब्द ‘कु’ ‘ऊष्मा’ और ‘अंडा’ शब्दों का प्रतीक है. पहला शब्द ‘कु’ का अर्थ है छोटा, ‘ऊष्मा’ का अर्थ है गर्मी और ‘अंडा’ अंडे के लिए निरूपित है. वह पूरे ब्रह्मांड को एक छोटे से ब्रह्मांडीय अंडे के रूप में बनाती है. मां कुष्मांडा की कृपा और गरिमा वास्तव में अविश्वसनीय है, वह अपने भक्तों के सभी दुख दूर करती हैं और जीवन में उनको कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है.

पूरी सृष्टि को मिलती है माता से ऊर्जा
मां दुर्गा की चौथी शक्ति को कुष्मांडा के अलावा आठ भुजा होने की वजह से अष्टभुजा देवी और दैदीप्यमान भी कहा जाता है. विभिन्न प्रकार की सिद्धियां प्राप्त करने के लिए माता की पूजा अर्चना की जाती है. मां कुष्मांडा देवी सौरमंडल में निवास करती हैं और सभी ग्रह-नक्षत्र, जीव-जंतु और मनुष्य को उनसे ही ऊर्जा मिलती है. जैसे सूर्य पृथ्वी से अंधकार को दूर करके उसे प्रकाशित करता है, वैसे ही उनकी असीम ज्योति मनुष्य के जीवन में प्रकाश लाती है. वह अपने भक्तों को आरोग्य, यश और बुद्धि प्रदान करती है. साथ ही दसों दिशाओं में जो रोशनी है, वह केवल मां की दिव्य चमक के कारण है.

माता को पसंद है यह बलि
संस्कृत भाषा में कुष्मांडा को कुम्हड कहते हैं. बलियों में कुम्हडे को बलि माता को सबसे ज्यादा प्रिय है इसलिए भी माता का नाम कुष्मांडा कहा गया. अगर संभव हो सके तो नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा में माता को कुम्हडे की बलि अर्पित करें. ऐसा करने से माता प्रसन्न होंगी और आशीर्वाद भी प्रदान करेंगी. साथ ही माता को भोग में मालपुए का नैवेघ अर्पित किया जाएगा, इसके बाद पुए गरीब व जरूरमंद को दे दें या किसी माता के मंदिर में दे दें. ऐसा करने से हर प्रकार का विघ्न दूर होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.

नवरात्रि के चौथे दिन के उपाय
1– माता कुष्मांडा की विधि विधान के साथ पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं.
2- लौंग, कपूर और अनार के दाने मिलाकर यज्ञ में आहुति दें. ऐसा करने से हर समस्या का अंत होगा.
3- नौकरी व कारोबार में तरक्की के लिए लौंग का जोड़ा, कपूर और पीले रंग के फूल अर्पित करें.
4– माता कुष्मांडा मालपुए का भोग लगाने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.
5- 36 लौंग और 6 कपूर लेकर उसमें हल्दी व चावल मिलाकर आहुति दें.
6- छात्र नवरात्रि के चौथे दिन का उपवास और पूजा करें. ऐसा करने से एकाग्रता में वृद्धि होगी.

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