Navratri Kanya Pujan : नवरात्र में समझिए कन्याओं की उम्र का महत्व. नवरात्रि में कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें देवी स्वरूप पूजा जाता है. मान्यता है कि कन्या को भोजन करने से देवी माता की कृपा प्राप्त होती है. इसलिए सदैव 2 वर्ष से 10 वर्ष तक की उम्र की कन्याओं को भोजन करना चाहिए. बिना कन्याओं के भोजन के नवरात्रि के व्रत या अनुष्ठान सफल नहीं होता है. नवरात्रि में अलग-अलग उम्र की कन्याओं को भोजन करने के अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं. आईए जानते हैं किस उम्र की कन्या को भोजन कराने से क्या फल प्राप्त होता है.
2 वर्ष की कन्या : 2 वर्ष की कन्या को अन्नपूर्णा देवी माना जाता है. 2 वर्ष की कन्या को भोजन करने से अन्न की कमी दूर होती है.
3 वर्ष की कन्या : 3 वर्ष की कन्या को त्रिनेत्री माना जाता है. 3 वर्ष की कन्या को भोजन करने से ज्ञान और सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है.
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4 वर्ष की कन्या : 4 वर्ष की कन्या को मां कात्यायनी का स्वरूप माना जाता है. इस उम्र की कन्याओं को भोजन करने से धन की प्राप्ति होती है.
5 वर्ष की कन्या : 5 वर्ष की कन्या को मां कालरात्रि का स्वरूप माना जाता है. ऐसी कन्याओं को भोजन करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल जाती है.
6 वर्ष की कन्या : 6 वर्ष की कन्या माता कालिका का स्वरूप होती है. ऐसी कन्याओं को भोजन करने से छात्रों को उत्तम विद्या मिलती है एवं व्यक्ति को राजयोग की प्राप्ति होती है.
7 वर्ष की कन्या : 7 वर्ष की कन्या माता महागौरी का स्वरूप होती है. ऐसी कन्या को भोजन करने से निसंतान दंपति को भी संतान का सुख प्राप्त हो जाता है.
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8 वर्ष की कन्या : 8 साल की कन्या दुर्गा स्वरूप होती है. ऐसी कन्या को भोजन करने से समस्त शत्रु बाधा दूर होती है और जीवन आसान बन जाता है.
9 वर्ष की कन्या : 9 साल की कन्या को श्रीमती माना जाता है. ऐसी कन्या को भोजन करने से धन – संपत्ति की प्राप्ति होती है.
10 वर्ष की कन्या : 10 वर्ष की कन्या को प्रभाव माना जाता है. ऐसी कन्या को भोजन कराने से घर में सभी प्रकार की क्लेश और विपत्तियां दूर हो जाती हैं.