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Masik Dharma During Navratri Durga Puja : धर्मशास्त्र पीरियड्स वाली महिलाओं को अशुद्ध या दोषी नहीं मानते, बल्कि उनके आराम और शारीरिक स्वास्थ्य को महत्व देते हैं. साथ ही इस दौरान महिलाओं को कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक माना गया है. आइए जानते हैं नवरात्रि के बीच में महिला को पीरियड्स तो आ जाए तो क्या करना चाहिए…
Navratri Puja During Period : शारदीय नवरात्रि के पावन दिनों में घर-घर में माता रानी की पूजा, व्रत और भजन-कीर्तन हो रहे हैं. नवरात्रि के दौरान माता रानी की पूजा अर्चना में शुद्धता और पवित्रता का बेहद खास ध्यान रखा जाता है लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं, जो नियंत्रण से बाहर होती हैं. महिलाओं के मन में अक्सर एक सवाल अक्सर उठता है कि अगर नवरात्रि के बीच में पीरियड्स (मासिक धर्म) आ जाए तो क्या करना चाहिए? क्या ऐसे में पूजा-पाठ या व्रत करना सही है? आइए जानते हैं धर्म शास्त्र और परंपराओं में इस विषय पर क्या मान्यता है…
नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा की 9 शक्तियों की हर दिन पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान बहुत से लोग प्रथम और अष्टमी तिथि का व्रत करते हैं तो बहुत से लोग पूरे नौ दिन तक उपवास करते हैं. ऐसे में नवरात्रि के बीच में पूजा पाठ कर रही कई महिलाओं का मासिक धर्म शुरू हो जाता है. हिंदू धर्म में मासिक धर्म को शारीरिक प्रक्रिया माना गया है. कुछ परंपराओं के अनुसार, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा स्थान से दूर रहने और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग न लेने की सलाह दी जाती है. माना जाता है कि इस समय शरीर शुद्धिकरण की अवस्था में रहता है, इसलिए व्यक्ति को आराम करना चाहिए.

ऐसी स्थिति का पहले से ध्यान रखें
नवरात्रि के बीच अगर किसी महिला को मासिक धर्म आ जाए, तो यह एक प्राकृतिक स्थिति है और यह हर 22 से 28 दिन में रिपीट होती रहती है. अगर आपको पहले से आशंका रहती है कि नवरात्रि के बीच में यह समस्या आ सकती है तो आपको उपवास शुरू ही नहीं करने चाहिए. ऐसी स्थिति में आप पूरे नौ दिन ना रखकर केवल प्रथम और अष्टमी तिथि को रख सकती हैं. मासिक धर्म के दौरान कई महिलाओं को चक्कर आना, भूख ना लगना, कब्ज आदि कई स्वास्थ्य संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसी स्थिति में महिलाओं को आराम करने की सलाह दी जाती है.
क्या कहते हैं धर्म शास्त्र?
हिंदू धर्म में मासिक धर्म को शारीरिक प्रक्रिया माना गया है. कुछ परंपराओं के अनुसार, पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पूजा स्थान से दूर रहने और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग ना लेने की सलाह दी जाती है. इसका कारण शारीरिक असुविधा और आराम की आवश्यकता है, ना कि महिला का हीन होना. अगर आपको नवरात्रि के बीच में मासिक धर्म आ जाता है तो आप चाहें तो उपवास कर सकती हैं लेकिन मूर्ति या फिर अन्य पूजा से संबंधित चीजों को छूने की मनाही है. ईश्वर भक्त का भाव देखते हैं ना कि शारीरिक शुद्धि.

आधुनिक दृष्टिकोण
आज की पीढ़ी इसे अलग नजरिए से देखती है. कई विद्वान और संत यह कहते हैं कि मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसे अपवित्र मानना गलत है. महिलाओं को इस दौरान भी मां दुर्गा का ध्यान और नामजप करने की पूरी स्वतंत्रता है. फर्क केवल इतना है कि मंदिर या पूजा-स्थल में शारीरिक उपस्थिति से बचना चाहिए. प्रत्यक्ष रूप से मूर्ति स्पर्श, पूजा सामग्री छूना, या हवन में बैठना वर्जित माना गया है. लेकिन मन में जप, ध्यान, स्तोत्र-पाठ आदि किए जा सकते हैं, मानसिक उपासना निषिद्ध नहीं है.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें