Parivartini Ekadashi 2024 Date: इस समय महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में गणेशोत्व की धूम है. इसी धूम के बीच परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi) भी आ रही है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार और भगवान गणेश की पूजा करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ये व्रत 13 सितंबर को है या 14 सितंबर को, इस बात को लेकर भी काफी कंफ्यूजन है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 सितंबर सुबह 10:25 पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 14 सितंबर सुबह 08:45 तक रहेगी. हिंदू धर्म में व्रत-त्योहार को उदया तिथि के अनुसार माना जाता है. ऐसे भी परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पालन 14 सितंबर 2024, शनिवार के दिन किया जाएगा. सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार, कुंडली में मौजूद किसी ग्रह की स्थिति अशुभ अवस्था में है तो उसका असर भी खत्म हो जाता है.
ज्योतिष प्रदुमन सूरी के अनुसार सालभर में आने वाली एकादशी चाहे कोई भी हो, इस दिन चावल खाने की मनाही होती है. इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखना होता है कि एकादशी में राहुकाल में पूजा वर्जित होती है. चूंकि इस बार परिवर्तिनी एकादशी बृहस्पतिवार के दिन है तो राहुकाल का समय 13:50 बजे से 15:25 तक रहेगा. महाभारतकाल में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था कि जो लोग परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. इस व्रत को करने से सुख-शांति, समृद्धि, और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है. साथ ही व्यक्ति को भय, रोग, दोष आदि से मुक्ति मिल जाती है. इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए. साथ ही दान करने से भी पुण्य में वृद्धि होती है.
परिवर्तनी एकादशी और राजा बलि की कथा
परिवर्तिनी एकादशी की व्रत कथा त्रेतायुग से जुड़ी है. उस समय बलि नाम का राजा भगवान विष्णु का परम भक्त था. बलि ने अपने तप और पूजा से कई असाधारण शक्तियां हासिल कर ली थीं और इंद्र के देवलोक के साथ तीनों त्रिलोक पर कब्ज़ा कर लिया था. तब इंद्र समेत सभी देवताओं ने भगवान विष्णु की पूजा की और बलि से मुक्ति की प्रार्थना की. इसके बाद भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और बलि के पास तीन पग ज़मीन दान में मांगने पहुंच गए. बलि अपने अभिमान में चूर थे इसलिए वामन देव को नहीं पहचान पाए और उन्होंने तीन पग जमीन देने का वचन दे दिया. इसके बाद, वामन ने अपना रूप बढ़ाया और एक पग में पृथ्वी और दूसरे पग में स्वर्गलोक को नाप लिया. तब बली ने महसूस किया कि वामन भगवान विष्णु हैं और हार मान ली. उन्होंने अपना सिर अर्पण कर दिया और भगवान विष्णु ने अपना पैर बाली के सिर पर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया. इसके बाद राजा बलि की पत्नी विंध्यावली ने अपने पति की रक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की. भगवान विष्णु ने विंध्यावली को वरदान दिया कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन जो कोई व्रत करेगा और राजा बलि की कथा सुनेगा, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी. इस तरह परिवर्तिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
FIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 23:01 IST