विकाश कुमार/चित्रकूट: पितृपक्ष के दौरान पिंडदान किए जाते हैं. ऐसे में लोग सोचते हैं कि कहां पिंडदान करने से ज्यादा से ज्यादा फल मिलेंगे. तो बता दें कि धर्म नगरी चित्रकूट प्रभु श्री राम की तपोस्थली रही है. यहां प्रभु श्री राम ने अपने काल के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे. ऐसे में चित्रकूट में पितृपक्ष के दिनों में रामघाट के मंदाकिनी तट पर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है. लोग यहां आकर अपने पितरों का तर्पण कर पूजा पाठ भी करते हैं.
भगवान राम ने कहां किया था पिंडदान?
हम बात कर रहे हैं चित्रकूट के रामघाट की. जहां वैसे तो पूरे साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. लेकिन पितृपक्ष के मौके पर लोग यहां आकर अपने पितरों का तर्पण भी करते हैं. माना जाता है कि जब प्रभु श्री राम को वनवास काल में थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था. तब प्रभु श्री राम ने चित्रकूट की मंदाकिनी नदी में अपने पिता का पहला पिंडदान किया था. इसलिए इस नदी को राम गया नदी के नाम से भी जाना जाता है.
इसे भी पढ़ें: Pitru Paksha Remedies: पितृपक्ष में कर लें बस ये काम, सात पीढ़ियां रहेंगी खुश, खूब बरसेगा धन!
पुजारी ने दी जानकारी
चित्रकूट के पुजारी मोहित दास ने Bharat.one को जानकारी देते हुए बताया कि मंदाकिनी मैया मोक्ष दायिनी है. उनका कहना है कि भगवान प्रभु श्री राम वनवास काल के दौरान जब चित्रकूट में थे, उसी समय उनके पिता का स्वर्गवास हो गया था. इस दौरान भरत जब प्रभु श्री राम को मनाने चित्रकूट आए और उनको अपने पिता के स्वर्गवास होने का समाचार मिला, तो उन्होंने अपने पिता का सबसे पहले पिंडदान चित्रकूट में ही किया था.
गया के बराबर मिलेगा फल
पुजारी का कहना है कि जितना गया में जाने से पितरों को सुख की प्राप्ति होती है, उतना ही महत्व चित्रकूट में भी है. यहां प्रभु श्री राम ने पिंडदान किया था. इसलिए पितृ पक्ष के उपलक्ष पर लोग चित्रकूट में पिंडदान करने के लिए आते हैं.
FIRST PUBLISHED : September 21, 2024, 09:15 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.