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Pitru Paksha 2024: ऑनलाइन श्राद्ध-पिंडदान करना सही या गलत? पितरों की आत्मा को मिलेगी शांति? जानें क्या हैं नियम


हाइलाइट्स

कई लोग ऑनलाइन पिंडदान को लेकर झूठा भ्रम फैला रहे हैं.श्राद्ध कर्म करने की सलाह भी दी जाती है लेकिन ऐसा करना अनुचित है.

Pitru Paksha 2024 : हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का बड़ा महत्व बताया गया है. इन दिनों में लोग अपने पितरों या पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज आदि अनुष्ठान करते हैं. इसके लिए धर्मनगरी काशी, गया आदि पवित्र स्थानों पर जाते हैं. लेकिन आज के डिजिटल युग में कई लोग घर बैठे ही ऑनलाइन माध्यम से श्राद्ध करने लगे हैं. ऐसे में कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि क्या इस तरह ऑनलाइन श्राद्ध से पितरों या पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी? क्या हैं इसके नियम और विधि? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से.

क्या ऑनलाइन पिंडदान करना सही है?
पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाने वाला पिंडदान विशेष स्थान पर पहुंचकर और पूरी विधि विधान से करना ही उचित माना गया है. पंडित जी के अनुसार, आज डिजिटल युग के नाम पर कई लोग ऑनलाइन पिंडदान को लेकर झूठा भ्रम फैला रहे हैं. इसके जरिए कई लोगों को घर में ही तर्पण और श्राद्ध कर्म करने की सलाह भी दी जाती है, लेकिन ऐसा करना अनुचित है. आपको अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए पिंडदान करने पवित्र और धार्मिक स्थानों पर ही जाना चाहिए. इसका मतलब यह कि पिंडदान घर पर ऑनलाइन नहीं किया जा सकता. हालांकि श्राद्ध कर्म से संबंधित कुछ पूजा कार्यों को आप घर पर कर सकते हैं.

कैसे ऑनलाइन करें श्राद्ध कर्म?
श्राद्ध कर्म के लिए डिजिटल माध्यम से आप ब्राह्मण से जुड़ सकते हैं लेकिन ध्यान रहे जिस दिन आप श्राद्ध कर रहे हैं, उस दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनकर श्राद्ध और दान का संकल्प ले लें.

एक और ध्यान रखने योग्य बात कि जब तक श्राद्ध ना हो जाए आपको खाने से दूर रहना है, चाहे वह किसी भी तरह की चीज हो. एक तांबे के लोटे में जौ, तिल, चावल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल, सफेद फूल और पानी डाल दें. वहीं जब आप श्राद्ध करने बैठें तो अपना मुख दक्षिण दिशा में रखें.

श्राद्ध करते समय हाथ में कुश लें. इसके बाद जल को हाथ में भरें और अपने सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में 11 बार गिराएं. फिर अपने पितरों को खीर अर्पित करें. इस दौरान आप पंचकर्म भी करें, जिसके तहत देवता, गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी के लिए भोजन रखें.

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