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Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष के 15 दिन विशेष महत्व रखते हैं. इन दिनों पितरों को तर्पण और श्राद्ध कर उनकी आत्मा की शांति के लिए सात्विक कर्म करना चाहिए. इससे घर में सुख, समृद्धि और संतान वृद्धि बनी रहती है. जानिए…और पढ़ें
Local18 से बातचीत में महंत स्वामी कामेश्वरानंद वेदांताचार्य ने पितृपक्ष के महत्व और नियमों के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि इन दिनों सबसे पहले लहसुन और प्याज का सेवन त्याग देना चाहिए. साथ ही मांस-मदिरा जैसे तमाम तामसिक पदार्थों से परहेज करना जरूरी है. पितरों की तिथि पर सात्विक भोजन पकाकर ठाकुर जी को अर्पण करें और फिर ब्राह्मण को भोजन कराएं.
महंत के अनुसार, सात्विक भोजन में बेसन के गट्टे, पनीर, आलू की सब्जी, परवल, उड़द या मूंग की दाल जैसी चीजें शामिल करनी चाहिए. पूड़ी-सब्जी बनाकर भोग लगाने की परंपरा भी पुरानी है. भोजन कराने के साथ-साथ गौ माता को चारा खिलाना और गरीबों को दान-दक्षिणा देना भी बेहद पुण्यकारी माना गया है. जिनके माता-पिता नहीं हैं, उन्हें अपने पितरों की तिथि पर मुंडन संस्कार करवाकर तिल, जौ और जल से पीपल वृक्ष पर अर्पण करना चाहिए.
पितृपक्ष में वर्जित कार्य और अनुशासन
शास्त्रों में स्पष्ट निर्देश है कि पितृपक्ष के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, दुकान की शुरुआत या नया कारोबार नहीं करना चाहिए. इन दिनों ब्रह्मचर्य का पालन करना और अपने आचरण को सात्विक रखना आवश्यक है. झूठ बोलना, अपशब्द कहना, छल-कपट करना या किसी का दिल दुखाना पितरों को अप्रसन्न कर सकता है.

पिछले 5 साल से मीडिया में सक्रिय, वर्तमान में Bharat.one हिंदी में कार्यरत. डिजिटल और प्रिंट मीडिया दोनों का अनुभव है. मुझे लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें लिखना और पढ़ना पसंद है.
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