Friday, September 26, 2025
30 C
Surat

Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष शुरू, पितरों को प्रसन्न करने के लिए क्या करें क्या ना करें, Shradh Paksha 2025 की तिथियां


पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है. इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 8 सितंबर से हो चुकी है और समापन 21 सितंबर सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा. पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अवधि होती है, जिसे विशेष रूप से पूर्वजों (पितरों) के तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान के लिए निर्धारित किया गया है. शास्त्रों में बताया गया है कि पितरों की कृपा से संतान, धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है. अगर पितृ अप्रसन्न हों तो जीवन में रुकावट, अशांति और रोग बढ़ते हैं. आइए जानते हैं पितरों को प्रसन्न करने के लिए क्या करें क्या ना करें…

पितर देते हैं सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते है कि पितृपक्ष का आरंभ 8 सितंबर दिन सोमवार से हो चुका है. इस वर्ष पितृ पक्ष 14 दिन के हैं. मध्याह्ने श्राद्धम् समाचरेत अतः पार्वण श्राद्ध दोपहर में ही करना चाहिए. बहुत लोग इस बात से भ्रमित रहते हैं कि अगर पुत्र या पुत्री का विवाह इस साल हुआ है तो पितृपक्ष में जल दान, पिंड दान, अन्न दान या तर्पण नहीं करना चाहिए लेकिन निर्णयसिंधुकार के कथनानुसार सभी मांगलिक कार्यों में पितृ कार्य उत्तम व आवश्यक माना गया है. तभी तो हम जनेऊ,विवाह आदि मांगलिक कृत्य करने से पूर्व नान्दीमुख श्राद्ध अवश्य करते है. इसका अभिप्राय यह है कि पितर हमेशा सभी कार्यों में अपना आशीर्वाद देते हैं, जिससे कोई भी कार्य बिना किसी विघ्न के हो जाए.

हर्षोल्लास के साथ मनाएं पितृपक्ष
पितृ पक्ष साल में एक बार आते हैं और वे आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में श्राद्ध के लिए आता हैं. बताया गया है कि देवताओं की की गई पूजा में कदाचित भूल होने पर देवता क्षमा कर देते हैं लेकिन पितृ कार्य में न्यूनता व आलस्य प्रमाद करने से पितर असन्तुष्ट हो जातें है, जिससे हमें रोग,शोक,आदि भोगने पड़ते है. साथ ही पितृदोष भी लगता है. ज्योतिषाचार्य बताते है कि शास्त्रों में हर जगह नित्य देखने को मिलता है कि मातृ देवो भव,पितृ देवो भव अतः माता-पिता के समान कोई देवता नही उनकी संतृप्ती व आशीर्वाद हमें जीवन मे हर प्रकार का सुख देता है अतः इस भ्रान्ति को मन मस्तिष्क में ना पालकर इस बार पितृ पर्व को हर्षोल्लास पूर्वक मनाना चाहिए. जिसमें नित्य जल दान व तिथि पर पिण्ड दान अन्न वस्त्र आदि दान करना चाहिए. जिनके पिता के मृत्यु तिथि ज्ञात न हो उनका श्राद्ध पितृविसर्जन को करें.

पितृ पक्ष 2025 की तिथियां
प्रतिपदा का श्राद्ध 8 सितंबर सोमवार को
द्वितीया/ मंगलवार
तृतीया/बुधवार
चतुर्थी/ गुरुवार
पञ्चमी/ शुक्रवार
षष्ठी/ और सप्तमी का श्राद्ध शनिवार को
अष्टमी/ रविवार
मातृ नवमी/ सोमवार
दशमी/ मंगलवार
एकादशी/ बुधवार
द्वादशी/ गुरुवार
त्रयोदशी/शुक्रवार
चतुर्दशी/ शनिवार
अमावस्या/पूर्णिमा दोनों का श्राद्ध व पितृविसर्जन/ 21 सितम्बर रविवार को करें.

पितृपक्ष में ना कटवाएं बाल
पितृपक्ष में मुंडन नही करना चाहिए क्योंकि धर्मसिंधु में यह बात कही गई है कि पितृ पक्ष में सिर के बाल जब गिरते हैं तो वे पितरों के मुख में जातें है इसलिए सिर के बाल पितृ पक्ष आरंभ होने से पहले ही बनवालें या अगर इस दौरान भूल गए हैं तो पितृ विसर्जन के दिन दोपहर के समय बनवा लें. ऐसा करने से पितर संतुष्ट होते है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे कुल की वृद्धि व यश कीर्ति लाभ आरोग्यता व मोनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img