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Pitru Paksha 2025: राजस्थान में एक पवित्र स्थल है जहां पितरों के तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता है. मान्यता है कि यहां किए गए पिंडदान और तर्पण से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

राजस्थान का पुष्कर प्राचीनकाल से ही एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल माना जाता है. यह स्थान भगवान ब्रह्मा के विश्व प्रसिद्ध और एकमात्र मंदिर के कारण विशेष पहचान रखता है, लेकिन इसकी आध्यात्मिक महत्ता केवल यहीं तक सीमित नहीं है.

पुष्कर पितरों के तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए भी देशभर में विख्यात है. मान्यता है कि यहां श्राद्ध और पितृ तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा शांति को प्राप्त करती है.

श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों में यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और विधि-विधान से तर्पण, पिंडदान और अन्य अनुष्ठान कर अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं.

पंडित सुरेंद्र राजगुरु बताते हैं कि पुष्कर का महत्व इस कारण भी अद्वितीय है, क्योंकि यह एकमात्र ऐसा तीर्थ स्थल है जहां 7 कुलों और 5 पीढ़ियों तक के पितरों का श्राद्ध किया जाता है. जबकि देश के अन्य तीर्थ स्थलों पर केवल एक या दो पीढ़ियों तक ही श्राद्ध की परंपरा है.

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम ने भी अपने पिता दशरथ का श्राद्ध पुष्कर में ही किया था. इसी कारण पुष्कर में श्राद्ध करना अत्यंत फलदायी माना जाता है.

मान्यता है कि जो भक्त यहां पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं, उन्हें पितरों की कृपा के साथ मोक्ष का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.

यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान यहां भक्तों की विशेष आस्था देखने को मिलती है.