Last Updated:
Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष हिंदू धर्म का खास समय माना जाता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं. इस दौरान पूजा-पाठ और ब्राह्मण भोज का महत्व सबसे ज़्यादा होता है.

मान्यता है कि यह समय अपनी इच्छाओं या सुख-सुविधाओं को पूरा करने का नहीं, बल्कि पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का है. इसी वजह से नई चीजें खरीदने से बचा जाता है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष को शुभ कामों और नए आरंभ के लिए सही नहीं माना गया है. विवाह, गृह प्रवेश, नए कपड़े या गहने खरीदने जैसी परंपराएं इस दौरान रोक दी जाती हैं.

लोग मानते हैं कि नई वस्तुएं तभी घर में आती हैं जब पितरों का आशीर्वाद मिल चुका हो. इसलिए इस अवधि में पहले तर्पण करके उनका आशीर्वाद लिया जाता है और फिर नए काम शुरू किए जाते हैं.

पितृ पक्ष का मुख्य उद्देश्य दान-पुण्य करना है. लोग भोजन, कपड़े, अनाज और धन का दान करते हैं ताकि पितरों की आत्मा संतुष्ट रहे.

पंडित योगेन्द्र शुक्ला कहते हैं कि गरुड़ पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी उल्लेख है कि पितृ पक्ष में केवल श्राद्ध और तर्पण का फल मिलता है. इस समय किए गए नए कार्य या खरीदारी का फल नहीं मिलता.

दरअसल पितृ पक्ष हमें याद दिलाता है कि हमारी जड़ें हमारे पूर्वजों से जुड़ी हैं. इसलिए इन दिनों भौतिक इच्छाओं को त्यागकर सिर्फ पितरों को याद करना सबसे बड़ा धर्म माना जाता है.