Pongal Special Food : पोंगल दक्षिण भारत का एक बहुत ही खास और खुशियों से भरा त्योहार है. यह पर्व मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है, लेकिन आज इसे देश के दूसरे हिस्सों में भी जाना और मनाया जाने लगा है. पोंगल का संबंध प्रकृति, खेती और मेहनत से जुड़ा हुआ है. यह त्योहार किसान की मेहनत, फसल की सफलता और सूर्य देव के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर होता है. हर साल यह पर्व जनवरी महीने में आता है, जब नई फसल घर आती है और खेतों में खुशहाली दिखाई देती है. पोंगल केवल एक दिन का त्योहार नहीं होता, बल्कि यह चार दिनों तक मनाया जाता है. इन चार दिनों में अलग-अलग परंपराएं निभाई जाती हैं और खास तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इन पकवानों में चावल, दूध, गुड़ और दाल का खास महत्व होता है क्योंकि ये नई फसल से जुड़े होते हैं. पोंगल के मौके पर बनाए जाने वाले व्यंजन सिर्फ खाने के लिए नहीं होते, बल्कि इनके पीछे भावना, आस्था और परंपरा जुड़ी होती है. यही कारण है कि इस दिन का प्रसाद भी खास माना जाता है और पूरे परिवार के साथ मिलकर ग्रहण किया जाता है.
पोंगल पर बनाए जाने वाले मुख्य पकवान
पोंगल पर्व पर सबसे प्रमुख पकवान का नाम ही पोंगल होता है. यह दो तरह का बनाया जाता है – मीठा पोंगल और नमकीन पोंगल.
मीठा पोंगल
मीठा पोंगल इस त्योहार का सबसे खास व्यंजन होता है. इसे कच्चे चावल, मूंग दाल, दूध और गुड़ से बनाया जाता है. ऊपर से इसमें घी, काजू और किशमिश डाले जाते हैं. यह पकवान सूर्य देव को अर्पित किया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. माना जाता है कि मीठा पोंगल घर में सुख और समृद्धि लाता है.
वेन पोंगल (नमकीन पोंगल)
यह चावल और दाल से बनने वाला हल्का और स्वादिष्ट व्यंजन होता है. इसमें काली मिर्च, जीरा, अदरक और घी का इस्तेमाल किया जाता है. यह खासकर नाश्ते या दोपहर के भोजन में बनाया जाता है और सभी उम्र के लोगों को पसंद आता है.
अवियल
यह एक तरह की सब्जी होती है, जिसमें कई तरह की मौसमी सब्जियां डाली जाती हैं. इसे नारियल और दही के साथ बनाया जाता है. पोंगल के मौके पर यह व्यंजन भोजन की थाली को पूरा करता है.
सांभर और चावल
पोंगल के दिन सांभर और चावल भी बनाए जाते हैं. यह सादा लेकिन पौष्टिक भोजन माना जाता है और परिवार के सभी लोग इसे मिलकर खाते हैं.

पायसम
पायसम एक मीठी डिश होती है जो दूध, चावल या सेवई और चीनी या गुड़ से बनती है. यह भी त्योहार की खुशी को और बढ़ा देती है.
पोंगल का महत्व
पोंगल का सीधा संबंध खेती और प्रकृति से होता है. इस दिन लोग सूर्य देव को धन्यवाद देते हैं कि उनकी फसल अच्छी हुई. गाय और बैल, जो खेती में मदद करते हैं, उनका भी सम्मान किया जाता है. घरों को साफ किया जाता है, रंगोली बनाई जाती है और नए कपड़े पहने जाते हैं. यह पर्व सिखाता है कि मेहनत, प्रकृति और भोजन का सम्मान करना कितना जरूरी है.
पोंगल पर दिया जाने वाला प्रसाद
पोंगल के दिन मुख्य रूप से मीठा पोंगल ही प्रसाद के रूप में दिया जाता है. इसे खुले बर्तन में पकाया जाता है ताकि उबाल आने पर खुशी का संकेत माना जाए. इसके अलावा कुछ जगहों पर फल, नारियल और गन्ना भी प्रसाद में शामिल किया जाता है. यह प्रसाद सभी को बराबर बांटा जाता है, जिससे आपसी प्रेम और एकता बढ़ती है.
मीठा पोंगल को खुले बर्तन में पकाने के पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक तीनों तरह के कारण माने जाते हैं. यही वजह है कि यह परंपरा आज भी निभाई जाती है.
1. समृद्धि और उत्सव का प्रतीक
मीठा पोंगल फसल उत्सव से जुड़ा है. इसे खुले बर्तन में पकाया जाता है ताकि दूध और चावल उफनकर बाहर आएं.
उफनता हुआ पोंगल समृद्धि, खुशहाली और भरपूर अन्न का संकेत माना जाता है. इसी कारण लोग “पोंगलो पोंगल!” कहते हैं.
2. सूर्य देव को अर्पण का नियम
पोंगल मुख्य रूप से सूर्य देव को समर्पित होता है. खुले बर्तन में पकाने से सूर्य की किरणें सीधे भोजन पर पड़ती हैं, जिससे इसे देवताओं के लिए शुद्ध और पवित्र माना जाता है.

3. तामसिकता से बचाव, सात्त्विक भोजन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ढके हुए बर्तन में पकाने से भाप अंदर रुक जाती है, जबकि खुले बर्तन में भोजन सात्त्विक ऊर्जा के साथ पकता है.
मीठा पोंगल पूरी तरह सात्त्विक प्रसाद माना जाता है.
4. परंपरागत मिट्टी या पीतल के बर्तन का महत्व
पोंगल अक्सर मिट्टी या पीतल के बर्तन में खुले में पकाया जाता है. इससे
-स्वाद बेहतर होता है
-अन्न की प्राकृतिक खुशबू बनी रहती है
-पोषण तत्व सुरक्षित रहते हैं
5. सामाजिक और सामूहिक उत्सव का भाव
खुले में पकाना यह दिखाता है कि पोंगल केवल भोजन नहीं, बल्कि सामूहिक खुशी और साझा उत्सव है, जिसमें पूरा परिवार और समाज शामिल होता है.







