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Pradosh Vrat Puja Vidhi: प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जो विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है. यह व्रत हर माह के दोनों पक्षों शुक्ल और कृष्ण की त्रयोदशी तिथि को रखा …और पढ़ें
प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व, जानें सही विधि, शिव करेंगे हर मनोकामा पूरी!
हाइलाइट्स
- प्रदोष व्रत में बेलपत्र की पूजा का विशेष महत्व है.
- बेलपत्र की पूजा से ग्रह दोष से शांति मिलती है.
- प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए.
Pradosh Vrat Puja Vidhi: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत जातक के जीवन के सभी प्रकार के दोषों को दूर कर सुख-शांति लाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है. सभी विधि-विधान से पूजा कर उन्हें श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है. किन्तु इन सभी सामग्रियों के बीच भगवान शिव को अति प्रिय बेलपत्र चढ़ाना बहुत विशेष महत्व रखता है क्योंकि भोलनाथ को बेल अतिप्रिय माना गया है. इसके बिन उनकी हर पूजा अधूरी मानी जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है और उनके भाग्य में वृद्धि होती है. इसके साथ ही ज्योतिषशास्त्र के अनुसार माना जाता है कि अगर प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ अगर बेलपत्र की पूजा की जाए तो कुंडली में मौजूद ग्रहदोषों से भी शांति मिलती है और बेलपत्र की पूजा करने से शुभ परिणाम भी मिल सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ अरविंद पचौरी से बेलपत्र के पेड़ की पूजा विधि और नियम.
प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा किस विधि से करें?
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें और फिर पूजा स्थान पर साफ-सफाई करें और बेलपत्र के पेड़ के नीचे भी सफाई करें. फिर घर के मंदिर में भोलेनाथ की पूजा करने के बाद बेलपत्र के पेड़ के नीचे पूजा करें.
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बेलपत्र के पेड़ की पूजा करने के लिए जल का कलश, चंदन, रोली, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य लाएं और फिर बेलपत्र के पेड़ के सामने पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं और फिर सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें.
इसके बाद बेलपत्र के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें, फिर पेड़ के तने पर चंदन या रोली का तिलक करें और नियमानुसार चावल व फूल अर्पित करें. फिर बेलपत्र के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे ओम नमः शिवाय या महामृत्युंजल मंत्र का जाप करें. अंत में पूजा समापन करते हुए बेलपत्र के पड़ की परिक्रमा करें और आरती करें.
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प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा के नियम
अगर आप प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र की पूजा कर रहे हैं तो उस दिन भूलकर भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. इसे एक दिन पहले तोड़कर रख लें, जिससे की आपको दोष ना लगें. बेलपत्र की पूजा करने के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए. मुख्यतः इस दिन ध्यान रखने योग्य बात है कि बेलपत्र के पत्तों को प्रदोष व्रत के दिन तोड़ने से बचना चाहिए.







