Tuesday, November 11, 2025
19.3 C
Surat

Pradosh Vrat Upay: नवंबर के दूसरे प्रदोष व्रत पर दुर्लभ योग! मिलेगा दोगुना फल, जानें पूजन विधि


Last Updated:

Ujjain News: आचार्य आनंद भारद्वाज ने Bharat.one से कहा कि मार्गशीर्ष महीने के पहले प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat Puja Upay) पर अद्भुत संयोग बन रहा है. वृश्चिक संक्रांति भी इसी दिन है. वृश्चिक संक्रांति पर भगवान कार्तिक की पूजा की जाती है. साथ ही द्विपुष्कर योग भी है.

उज्जैन. हिंदू धर्म में त्रयोदशी तिथि का बहुत ही महत्व है. त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित है. हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि जो लोग इस दिन सच्चे भाव से पूजा-पाठ करते हैं, उनके जीवन में खुशहाली बनी रहती है और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है. प्रदोष का व्रत जिस दिन पड़ता है, उस दिन जो वार होता है, उसी के नाम से प्रदोष व्रत कहा जाता है. यह व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला माना जाता है. विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से कि नवंबर के महीने में दूसरा प्रदोष व्रत कब आ रहा है.

उन्होंने कहा कि वैदिक पचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 नवंबर 2025 दिन सोमवार को प्रातःकाल 04:47 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 18 नवंबर 2025 दिन मंगलवार को प्रातःकाल 07:12 बजे तक रहेगी. इस अनुसार नवंबर महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025 दिन सोमवार को रखा जाएगा.

सोम प्रदोष का अर्थ
उन्होंने आगे कहा कि सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर इसे सोम प्रदोष कहा जाता है. यह व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अशुभ फल दे रहा हो, उसे सोम प्रदोष जरूर नियमपूर्वक रखना चाहिए. अक्सर लोग संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं.

शुभ योग में प्रदोष व्रत
आचार्य आनंद भारद्वाज ने कहा कि मार्गशीर्ष महीने के पहले प्रदोष व्रत के दिन अद्भुत संयोग बन रहा है. इस दिन वृश्चिक संक्रांति भी है. वृश्चिक संक्रांति के दिन कार्तिक भगवान की पूजा की जाती है. इसके साथ ही उस दिन द्विपुष्कर योग भी है. ऐसे में जो भी भक्त प्रदोष व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करेंगे, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और घर में हमेशा सुख-समृद्धि की वृद्धि होगी.

जरूर करें इन नियमों का पालन
1. प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का संकल्प लें.

2. इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से सफाई कर भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें.

3. इसके बाद शिव परिवार का पूजन करें और भगवान शिव पर बेलपत्र, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें.

4. पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और शिव चालीसा का पाठ जरूर करें. इसके बाद ही अपना उपवास खोलें.

authorimg

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

नवंबर के दूसरे प्रदोष व्रत पर दुर्लभ योग! मिलेगा दोगुना फल, जानें पूजन विधि

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

Hot this week

Topics

Mercury in tenth house effects। बुध के दोष दूर करने के उपाय

Mercury In 10th House: जब कोई इंसान अपनी...

Aaj ka Rashifal 12 November 2025 Todays Horoscope । 12 नवंबर 2025 का दैनिक राशिफल

आज का मेष राशिफल (Today’s Aries Rashifal) गणेशजी कहते हैं...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img