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Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज का संदेश स्पष्ट है कर्ज पूर्व जन्म का फल नहीं, बल्कि खुद की भूल है. दिखावा, जरूरत से ज्यादा खर्च और अपनी सीमा न समझने से कर्ज बढ़ता है. संतुलित जीवन और समझदारी भरा खर्च इंसान को आर्थिक और मानसिक बोझ से बचाता है.
Premanand Ji Maharaj: कई बार लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या जिंदगी में बढ़ता कर्ज भी पूर्व जन्म के कर्मों का असर होता है? जब हालात बिगड़ते हैं, पैसा हाथ से फिसलता जाता है और कर्ज चुकाने का दबाव बढ़ता है, तब इंसान अपने हालात को किस्मत से जोड़कर देखने लगता है. इसी तरह की उलझन पर एक भक्त ने Premanand Ji Maharaj से सवाल किया. उनका जवाब बेहद सरल, सीधा और जिंदगी को सही दिशा देने वाला है. उन्होंने साफ कहा कि आज इंसान की सबसे बड़ी मुश्किल उसका दिखावा है. लोग अपने बस से ज्यादा खर्च करके नाम दिखाना चाहते हैं. घर हो, वाहन हो या बेटे-बेटी की शादी हर जगह चमक-दमक दिखाने की चाह कई परिवारों को कर्ज में डुबो देती है. महाराज जी का संदेश सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, बल्कि रोजमर्रा के जीवन से भी जुड़ा है. उनका कहना है कि अगर इंसान अपनी सीमा को समझकर चले, तो कर्ज जीवन में जगह ही नहीं बना पाएगा.
क्या कहा महाराज जी ने?
Premanand Ji Maharaj ने साफ शब्दों में कहा कि कर्ज का बढ़ जाना कोई पूर्व जन्म का कर्म नहीं है, बल्कि यह इंसान की खुद की भूल है. असली वजह यह है कि लोग अपनी क्षमता से ज्यादा ऊंची चीजें हासिल करना चाहते हैं. जब कम कमाई में बड़ा मकान चाहिए, महंगी कार चाहिए या शादी में अनावश्यक खर्च दिखाना हो, तभी कर्ज का बोझ बढ़ता है.
महाराज जी के अनुसार
उनके अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के पास साइकिल चलाने लायक साधन है, तो उसे उसी में संतोष रखना चाहिए. चोरी-छिपे महंगे शौक पालकर बैंक या किसी व्यक्ति से उधार लेना बुद्धिमानी नहीं, बल्कि परेशानी को न्योता देना है. शादी जैसे पवित्र काम में भी लोग दूसरों को प्रभावित करने के चक्कर में जरूरत (यह शब्द न उपयोग ध्यान) से ज्यादा खर्च कर देते हैं. जबकि वही काम कम पैसों में भी सम्मानजनक तरीके से हो सकता है.
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