God Is Happy Or Angry : हर इंसान चाहता है कि भगवान हमेशा उसके साथ रहें, उसकी रक्षा करें और जीवन में सुख-शांति बनी रहे. लोग तरह-तरह से पूजा, भक्ति, दान और साधना करते हैं ताकि भगवान प्रसन्न रहें. लेकिन कई बार मन में एक सवाल उठता है कि क्या सच में भगवान हमसे खुश हैं? या कहीं ऐसा तो नहीं कि वे हमसे नाराज हैं? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में आता है जो ईश्वर पर विश्वास रखता है. वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने इस प्रश्न का बड़ा ही सरल और सटीक उत्तर अपने एक प्रवचन में दिया. उन्होंने बताया कि भगवान की प्रसन्नता किसी बाहरी चीज से नहीं, बल्कि हमारे अंदर के भाव और कर्मों से जुड़ी होती है. उन्होंने कहा कि भगवान को खुश करने के लिए दिखावे की जरूरत नहीं, बल्कि सच्चे मन, सही आचरण और प्रेम से जुड़ना जरूरी है. उनके अनुसार, जब इंसान का मन अच्छा बनने लगता है और उसका झुकाव भलाई की ओर होता है, तो समझ लेना चाहिए कि भगवान प्रसन्न हैं.
1. प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भगवान की प्रसन्नता का पता बाहरी संकेतों से नहीं, बल्कि अपने अंदर झांककर लगाया जा सकता है. जब हमारे विचार साफ होने लगें, मन में दूसरों के लिए प्रेम और करुणा आने लगे, तब जान लेना चाहिए कि भगवान हमसे खुश हैं.
2. उन्होंने कहा कि जब हमें संतों की संगत अच्छी लगने लगे, धार्मिक बातें सुनने में आनंद आने लगे और मन बुरे कामों से खुद ही दूर भागने लगे, तो यह भगवान की कृपा का संकेत है. जब हमें किसी गरीब या पशु-पक्षी की मदद करके सुकून मिले, तो समझिए भगवान हमारे दिल में बस चुके हैं.
3. महाराज जी के अनुसार, भगवान तब प्रसन्न रहते हैं जब हम उनके बताए रास्ते पर चलें. अगर हमारे जीवन में सच्चाई, ईमानदारी और नम्रता बढ़ने लगे, तो यह साफ संकेत है कि ईश्वर हमसे खुश हैं.
नाराज होने के संकेत
1. वहीं अगर मन में गुस्सा, लालच, ईर्ष्या या द्वेष बढ़ने लगे, तो इसका मतलब है कि भगवान की कृपा हमसे दूर हो रही है.
2. उन्होंने समझाया कि जब बुद्धि सही दिशा में काम करती है, तो भगवान का आशीर्वाद बना रहता है. लेकिन जब मन गलत रास्ते पर जाने लगे, जब सच और झूठ में फर्क मिटने लगे, तब यह माना जाता है कि भगवान नाराज हैं. ऐसे समय में व्यक्ति को खुद को सुधारने की जरूरत होती है.
3. प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि भगवान की खुशी किसी बड़े मंदिर, चढ़ावे या भव्य पूजा में नहीं छिपी होती. भगवान केवल उस व्यक्ति से प्रसन्न रहते हैं जो दिल से साफ, कर्म से सच्चा और व्यवहार से विनम्र हो. उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई इंसान हर हाल में भगवान का नाम लेता है, चाहे समय अच्छा हो या बुरा, तो समझिए भगवान उसकी हर सांस में बसते हैं.

ध्यान दें
महाराज जी ने यह भी बताया कि भगवान की नाराजगी का सबसे बड़ा संकेत यह है कि इंसान के जीवन से शांति चली जाती है. जब मन में बेचैनी, चिंता और भय बढ़ने लगे, तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं हम ईश्वर से दूर हो रहे हैं. ऐसे समय में भक्ति, प्रार्थना और आत्म-चिंतन ही वह रास्ता है जो हमें फिर से भगवान के करीब ला सकता है.
उन्होंने कहा कि भगवान को खुश करने का सबसे सरल तरीका है – सच्चे दिल से भक्ति करना. भगवान को किसी चीज की जरूरत नहीं, उन्हें बस प्रेम चाहिए. अगर इंसान प्रेम से, श्रद्धा से और भले इरादों से भगवान का स्मरण करता है, तो वे जरूर प्रसन्न होते हैं.
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, जब व्यक्ति को हर जगह भगवान दिखाई देने लगें – चाहे वह गरीब में हो या जानवर में, पेड़ में हो या किसी बुजुर्ग में – तब यह समझ लेना चाहिए कि भगवान ने अपने भक्त के हृदय में स्थान बना लिया है. यही सबसे बड़ा संकेत है कि भगवान प्रसन्न हैं.







