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Ram Mandir Dhwajarohan on vivah panchami 2025 Vedic ritual for Ram temple flag hoisting ceremony today | तुलसी पत्रों से हुआ श्रीराम सहस्त्रनामार्चन, रामलला मंदिर में पूजा के दिन क्या क्या हुए धार्मिक कार्यक्रम जानें

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Ram Mandir Dhwajarohan: अयोध्या के रामलला मंदिर के शिखर पर विवाह पंचमी के दिन दिव्य ध्वज लगाया जाएगा. इसके लिए पूजा पाठ के कार्यक्रम शनिवार से शुरू हो गए हैं. रविवार को पूजा का दूसरा दिन है और इस दिन भगवान श्रीराम का एक हजार तुलसी पत्रों से सहस्त्रनामार्चन किया गया. आइए जानते हैं पूजा ध्वज पूजा के दूसरे दिन अयोध्या में क्या क्या धार्मिक कार्य किए जा रहे हैं…

Ram Temple Flag Puja: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था इसलिए इस तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है. इस बार विवाह पंचमी की शुभ तिथि 25 नवंबर दिन मंगलवार को है. विवाह पंचमी के उपलक्ष्य में अयोध्या के रामलला मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ध्वज फहराया जाएगा. इस उपलक्ष्य में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में प्रस्तावित ऐतिहासिक ध्वजारोहण कार्यक्रम के पूर्व वैदिक अनुष्ठानों का क्रम जारी है. गुरुवार को द्वितीय दिवस के अनुष्ठान संपन्न कराए गए. इस अवसर पर भगवान श्रीराम का एक हजार तुलसी पत्रों से सहस्त्रनामार्चन किया गया. आइए जानते हैं पूजा ध्वज पूजा के दूसरे दिन अयोध्या में क्या क्या धार्मिक कार्य किए जा रहे हैं…

पूजा के दूसरे दिन हुए यह धार्मिक कार्यक्रम – पावन ध्वजारोहण से पूर्व किए जा रहे इस वैदिक अनुष्ठान ने पूरी रामनगरी को आध्यात्मिक ऊर्जा से अभिभूत कर दिया है. मुख्य आचार्यों ने दिनभर वैदिक विधियों के अनुसार विभिन्न पूजन और आवाहन संपन्न कराए. कार्यक्रम का शुभारंभ गणपति पूजन, पंचांग पूजन और षोडष मातृका पूजन के साथ हुआ. इसके बाद मंडप प्रवेश पूजन तथा योगिनी, क्षेत्रपाल एवं वास्तु पूजन की वैदिक प्रक्रिया पूर्ण की गई. इसी क्रम में नवग्रह पूजन सहित प्रधान मंडल के रूप में रामभद्र मंडल व अन्य पूजन मंडलों का आवाहन किया गया.

वेदविद्वानों ने मंत्रोच्चारण से वातावरण को राममय कर दिया – आचार्यों ने बताया कि ये सभी अनुष्ठान मंदिर ध्वज को स्थापित करने से पूर्व आवश्यक आध्यात्मिक प्रक्रिया के अंतर्गत आते हैं. इससे शुभता, सुरक्षा और धार्मिक ऊर्जाओं का संचार सुनिश्चित होता है. द्वितीय दिवस के इस पूजन में यजमान डॉ. अनिल मिश्र और अन्य यजमानों ने अपनी अर्द्धांगिनी के साथ पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से सहभागिता की. मुख्य आचार्य चंद्रभान शर्मा के निर्देशन में उपाचार्य रविंद्र पैठणे, यज्ञ के ब्रह्मा एवं आचार्य पंकज शर्मा सहित दर्जनों वेदविद्वानों ने मंत्रोच्चारण से पूरा वातावरण राममय कर दिया. पूजन व्यवस्था प्रमुख आचार्य इंद्रदेव मिश्र व आचार्य पंकज कौशिक की विशेष देखरेख में समस्त अनुष्ठान विधिपूर्वक संपन्न हुए.

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इस तरह बनया गया है ध्वज – रामलला मंदिर के शिखर पर लगने वाला यह ध्वज रामायण काल के त्रेता युग में प्रयुक्त ध्वजों की अनुकृति से प्रेरित है. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के ध्वज का रंग केसरिया होगा, जो धर्म, त्याग और साहस का प्रतीक है. ध्वज में तीन मुख्य प्रतीकों ॐ, सूर्य और कोविदार वृक्ष को अंकित किया गया है, जो इसकी सबसे बड़ी विशेषता मानी जा रही है. सूर्य भगवान राम के सूर्यवंशी वंश होने का प्रतीक है, जो शौर्य, तेज और पराक्रम की ऊर्जा दर्शाता है. त्रेता युग के कोविदार वृक्ष का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में, विशेष रूप से अयोध्या कांड में कई बार मिलता है.

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रामलला मंदिर में पूजा के दिन क्या क्या हुए धार्मिक कार्यक्रम जानें

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