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Ram Navami 2025: आज पांच शुभ योग में मनाई जाएगी राम नवमी, जानें पूजा विधि, मुहूर्त, आरती, मंत्र और महत्व


आज देशभर में धूमधाम से राम नवमी का पर्व मनाया जा रहा है, इस दिन विधि विधान के साथ पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का पूजन किया जाता है. हर वर्ष यह पर्व राम नवमी का पर्व का चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है और आज ही चैत्र नवरात्रि 2025 का अंतिम दिन भी है. भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र कर्क लग्न और दोपहर के समय हुआ था. साल 2025 में राम नवमी पर रवि पुष्य योग के साथ समेत कई दुर्लभ योग का संयोग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. आइए जानते हैं राम नवमी की पूजा विधि, पूजा मुहूर्त, मंत्र, महत्व और आरती….

राम नवमी 2025 का महत्व
राम नवमी का पर्व केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. चैत्र मास की नवमी तिथि को भगवान विष्णु के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को राम नवमी कहा जाता है. इस दिन विधि विधान के साथ भगवान राम की पूजा अर्चना और रामायण का पाठ और राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है और सभी तरह के रोग व कष्ट से मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत करने से ज्ञान, पवित्रता, बुद्धि, धैर्य शक्ति का विस्तार होता है और धन धान्य में वृद्धि भी होती है. साथ ही सभी ग्रह-नक्षत्रों का शुभ फल प्राप्त होता है और सभी कार्य भगवान श्रीराम के आशीर्वाद से संपन्न होते हैं.

राम नवमी 6 अप्रैल 2025 दिन रविवार
नवमी तिथि का प्रारंभ – 5 अप्रैल, शाम 7 बजकर 27 मिनट से
नवमी तिथि का समापन- 6 अप्रैल, शाम 7 बजकर 24 मिनट तक
उदिया तिथि को मानते हुए 6 अप्रैल 2025 दिन रविवार को राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा और चैत्र नवरात्रि 2025 की नवमी तिथि का पूजन भी किया जाएगा.

राम नवमी 2025 पूजा मुहूर्त
भगवान राम का जन्म दोपहर के समय हुआ था इसलिए भगवान राम की पूजा अभिजित मुहुर्त में करना बेहद शुभ फलदायी रहेगा. आप इस मुहूर्त में भगवान राम की पूजा कर सकते हैं. साथ ही इस पूरे दिन कई शुभ योग भी बने रहने वाले हैं.

पूजा मुहूर्त – 6 अप्रैल, दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक

राम नवमी 2025 शुभ योग
राम नवमी 2025 पर इस बार बेहद खास योग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व भी बढ़ गया है. इस दिन रवि पुष्य नामक योग बन रहा है, जो सुख-वैभव और सफलता लाता है और इस योग में किए गए किसी भी कार्य का फल कई गुणा बढ़ जाता है. साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, यह योग सभी कार्यों को सिद्ध करता है और शुभता को दर्शाता है. राम नवमी पर रवि योग भी बन रहा है, यह योग सूर्य का अभीष्ट प्राप्त होने के कारण बेहद प्रभावशाली योग माना जाता है और भगवान राम का जन्म भी सूर्यवंश में हुआ था इसलिए इस दिन रवि योग का बनना बेहद शुभ रहेगा. रवि योग के अलावा राम नवमी पर सुकर्मा योग भी बन रहा है, इस योग में नया कार्य करना, धार्मिक कार्य करना, नौकरी ज्वाइन करना या बिजनस की शुरुआत के लिए बहुत शुभ माना जाता है. साथ ही मीन राशि में सूर्य, बुध, शुक्र, राहु और शनि के होने से चतुर्ग्रही योग, लक्ष्मी नारायण योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं.

राम नवमी 2025 पूजा मंत्र
श्री राम जय राम, श्री राम जय जय राम
ॐ ह्रां ह्रीं रां रामाय नमः
ॐ राम रामाय नमः
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे
ॐ दाशरथये विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात्:

राम नवमी 2025 पूजा विधि
1- आज ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान से निवृत्त होकर किसी चौकी या लकड़ी के पटरे पर पीला वस्त्र बिछाकर रामजी की मूर्ति या तस्वीर रख दें. साथ ही राम दरबार की भी तस्वरी रख लें.
2- इसके बाद पूरे परिवार के साथ भगवान राम को पीला चंदन और तुलसी का पत्ता अर्पित करें. फिर पीले फल, फूल, अक्षत, धूप आदि नैवेद्य अर्पित करें.
3- इसके बाद घी का दीपक और कपूर जलाएं और पूरे परिवार के साथ भगवान राम की आरती करें और मंत्रों का जप भी कर सकते हैं.
4- पूजा हो जाने के बाद श्रीरामचरितमानस, बालकांड, सुंदरकांड या रामरक्षा स्तोत्र का पाठ अवश्य करें.

भगवान श्री राम की आरती
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।
नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
छंद
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
।।सोरठा।।
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

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