Ramayana’s Truth: सनातन धर्म में रामायण एक ऐसा ग्रंथ है, जिसकी कथाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं. अधर्म पर धर्म की विजय की कहानी कहने वाले इस ग्रंथ के हर किरदार का चरित्र लोगों को आकर्षित करता है. रामायण में माता सीता का हरण करने वाला रावण शिवजी का बड़ा भक्त था. इससे जुड़ी कई कथाएं आपने सुनी होंगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस लंकापति ने ब्रह्मा जी का वरदान पाने के बाद भगवान शिव के कैलाश पर ही चढ़ाई कर दी थी. यहीं वह घटना हुई थी, जिसके बाद ‘रावण’ को उसका ये नाम मिला था.
दशाग्रीव से कैसे बना वो ‘रावण’
महाभारत-रामायण जैसे ग्रंथों पर रिसर्च कर चुकीं लेखिका अमी गणात्रा बताती हैं कि आखिर लंकेश को ‘रावण’ नाम कहां से मिला. उसे ये नाम मिलने की कहानी वाल्मीकि रामायण में आती है. रावण ने ब्रह्माजी की तपस्या कर वरदान मिला और उसने उसी वरदान के मद में खुद को सर्वश्रेष्ठ मान लिया. इसी नशे में चूर उसने राजाओं पर आक्रमण करना शुरू कर दिया. शक्तिशाली लंकेश ने कई राजाओं को ललकारा और उनसे युद्ध किया. हालांकि उसने कई युद्ध जीते पर जिन युद्धों में वह हारा, उसने उन राजाओं से संधि कर ली थी. इसी विजय यात्रा में बढ़ता हुआ वह कैलाश पर्वत पहुंचा था.

रावण का असली नाम दशाग्रीव था. (फोटो साभार
शिवजी का अंगूठा भी हिला नहीं पाया लंकेश
कैलाश पहुंचकर रावण सबसे पहले कुबेर को हराता है. इसके बाद वह कैलाश में घूम रहा है, तभी नंदी बैल उसे कैलाश से जाने के लिए कहते हैं, क्योंकि ये भगवान शिव की क्रीडास्थली है. तब लंकेश कहता है, ‘शिव कौन है, वो कहां के हैं. तुम होते कौन हो मुझे रोकने वाले? अब तुम्हारे शिव भी देखेंगे कि मैं कौन हूं. मैं तो इस पर्वत को ही उठा लूंगा.’ तब लंकेश अपने दोनों हाथों से कैलाश पर्वत को उठाने की कोशिश करते हैं. तभी भगवान शिव अपने पैर का अंगूठा कैलाश में गड़ा देते हैं, जिससे रावण के दोनों हाथ पर्वत के नीचे बुरी तरह दब जाते हैं. अपने हाथ दबने पर दशानन जोर-जोर से चिल्ला-चिल्ला कर रोता है. वह इतनी जोर से रोता है कि विश्व के सारे जीव भी डर जाते हैं और वह भी डर के मारे चिल्लाना शुरू कर देते हैं.’ अमी गणात्रा बताती हैं कि यही वह घटना है, जिसके बाद उसका नाम रावण हुआ. रावण का असली नाम दशाग्रीव था.
जब रावण बुरी तरह रो-रोकर दर्द से चिल्ला रहा होता है, तब उसके कुछ मंत्री उसे कहते है कि वह जब भगवान शिव की स्तुति करेगा, तभी उसे इस पीड़ा से छुटकारा मिलेगा. फिर वह भगवान की पूजा करता है, उनकी स्तुति करता है. शिवजी तो भोले हैं, वो उस रावण को भी माफ कर देते हैं और उसे आशीर्वाद देते हैं कि आज से तुम ‘रावण’ के नाम से जाने जाओगे. यही वो घटना है, जिसके बाद रावण शिवभक्त बन जाता है.
FIRST PUBLISHED : January 6, 2025, 13:31 IST