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Ravivar Surya Dev Vrat 2025: हिंदू धर्म में रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है. सूर्यदेव को तमोभंजक कहा गया है अर्थात् अंधकार का नाश करके प्रकाश प्रदान करना. रविवार को सूर्यदेव की पूजा केवल धार्मिक नहीं बल्कि ज्योतिषीय और ऊर्जात्मक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी गई है. आइए जानते हैं रविवार को सूर्यदेव की पूजा का महत्व, शुभ योग और पूजा विधि…
Ravivar Surya Dev Vrat 2025: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को रविवार का दिन है. रविवार को सूर्यदेव की उपासना का महत्व वैदिक ज्योतिष और पारंपरिक ग्रंथों में अत्यंत विशेष माना गया है. ग्रहों के राजा सूर्य को आत्मा, स्वास्थ्य, तेज, राज्य, पितृबल और जीवन-ऊर्जा का कारक बताया गया है इसलिए रविवार को की गई सूर्य पूजा शीघ्र फलदायी मानी जाती है. सप्ताह के दिनों का निर्धारण ग्रहों की प्रथम-अवधि के आधार पर किया गया है और रविवार की प्रथम अवधि सूर्य से संचालित होती है. इसलिए यह दिन सूर्य ऊर्जा के ग्रहण और उपासना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. रविवार को कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. आइए जानते हैं रविवार को सूर्यदेव की पूजा का महत्व, शुभ योग और पूजा विधि…
रविवार पंचांग 2025
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 4 बजकर 7 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. रविवार को कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन आप वार के हिसाब से रविवार का व्रत रख सकते हैं. इस दिन सूर्य दोपहर 1 बजकर 45 मिनट तक तुला राशि में और चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे. रविवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि और द्विपुष्कर का संयोग बन रहा है.

रविवार सूर्यदेव की पूजा का महत्व
अग्नि और स्कंद पुराण में बताया गया है कि जो जातक रविवार का व्रत रखते हैं उन्हें सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है. सूर्य पितृकारक ग्रह है, रविवार को की गई पूजा पिता से जुड़े तनावों और दूरी को कम करती है. सूर्यदेव शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने वाले ग्रह माने गए हैं और नियमित सूर्यपूजन स्वास्थ्य और ऊर्जा को स्थिर करता है. सूर्यदेव को तमोभंजक कहा गया है अर्थात् अंधकार का नाश करके प्रकाश प्रदान करना. इस व्रत की शुरुआत वे किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से कर सकते हैं. 12 रविवार व्रत रखने के बाद इसका उद्यापन कर दें.
रविवार सूर्यदेव पूजा विधि
रविवार का व्रत विधि-विधान से करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म, स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें. इसके बाद चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें और फिर व्रत कथा सुनें. सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. मान्यता है कि ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

शुभ योग में रविवार को करें यह काम
साथ ही रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र मंत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र ॐ सूर्याय नमः या ॐ घृणि सूर्याय नमः का जप करने से विशेष लाभ मिलता है. रविवार के दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है. इन उपायों से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है. सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है. मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें







